- यूपी बहराइच थाना जरवल SHO मधुप नाथ मिश्रा एक बार फिर विवादों के घेरे में,
- कोतवाल मधुप नाथ पर लगे आरोपों से खाकी शर्मसार,
- हत्या के आरोपियों को चार दिन बाद थाने से किया रिहा -मृतक के परिजन
- पीडि़त परिवार द्वारा कोतवाल पर सौदेबाजी का आरोप
बहराइच। ताजे राज हिन्द की धारा 302 में नामजद आरोपियों की गिर तारी जरवलरोड पुलिस द्वारा की गई। चार दिनों तक आरोपियों को थाने में हिरासत में रखा गया। चार दिनों के बाद आरोपियों को थाने से कोतवाल मधुपनाथ द्वारा थाने से आजाद कर दिया गया। आरोपियों की रिहाई की सूचना से क्षेत्र में जनाक्रोश फैल गया। पीडि़त पक्ष का कुनबा एसपी से मिलकर रिहाई के पीछे सौदेबाजी बताते हुए अभियुक्तों को गिरफ्तार करने एवं कोतवाल के विरूद्ध कार्रवाई की मांग की।
ज्ञातव्य हो कि थाना जरवलरोड निवासी प्रेम नरायन के पुत्र धर्मराज (अनुसूचित जाति) की हत्या बीते 21 जून 2018 को कर दी गई थी। धर्मराज की लाश रिठौडा सपसा के मध्य विनोद के गन्ने के खेत में मिली। मृतक के पिता प्रेम नरायन के तहरीर पर बडे जद्दोजेहाद के बाद गुड्डू, पप्पू, किशन और बब्बू के विरूद्ध मुअस 120/18 ताजेरात हिन्द की धारा 302 व 3 (2) 5 अनुसूचित अधिनियम के विरूद्ध 23 जून 18 को पंजीकृत हुआ। मृतक के पिता प्रेम नारायन के अनुसार चारो नामजद आरोपियों को प्रभारी निरीक्षक मधुप नाथ मिश्र 22 जून 18 को हिरासत में ले लिया। उसके बाद कोतवाल अवकाश पर चले गए। मृतक के परिजनों का आरोप है कि वापस आते ही सभी आरोपियों से उन्होंने सौदेबाजी कर 27 जून 18 को थाने से रिहा कर दिया।
एफआईआर दर्ज करने से कतराते रहे कोतवाल मधुप नाथ
मृतक के परिजनों ने हमसे बात करते हुवे कहा कि आप स्वयं सोचिए कि जिसके जवान बेटे की नृशंस हत्या हो गई हो। सात अबोध बालको के सिर से पिता का वात्सल्य सदैव के लिए छीन लिया गया हो। पत्नी की मांग में वैधत्व का अभिशाप भर दिया गया हो। बावजूद इसके कानून के रखवाले लम्बरदार कोतवाल मुकदमा लिखने से परहेज करे। मर्डर को इत्तेफाकिया घटना करार देने में पूरे शिद्दत से मैराथन करे। क्या ऐसे अधर्मी कोतवाल को पद पर बने रहने का नैतिक कानूनी, संवैधानिक अधिकार है? शायद सभी पहलुओं पर जवाब यही होगा नहीं? फिर ऐसे हालात में मोहकमें के हुक्मरानो की क्या मजबूरी है जो इनके पापों, काले कारनामों को नजरंदाज कर कुर्सी का संरक्षण करते है? जरवल थाने में दर्ज इस मुकदमें के मध्य पैरा में मुकदमा वादी ने स्पष्ट उल्लेख किया है कि श्रीमान जी (कोतवाल) ने इस केस को इत्तेफाकिया घटना दिखाया है।
विवादों से रहा है पुराना नाता
कोतवाल मधुप नाथ मिश्र का विवादो से गहरा रिश्ता है। अभी कुछ ही दिन पहले एक एक दलित युवक को नंगाकर सरेआम बेरहम पिटाई करने का आरोप लगा था। इस घटना के विरोध में एक पखवारे तक कोतवाल के विरूद्ध आमरण अनशन हुआ। क्षेत्रीय चर्चाओ के अनुसार कोतवाल ऊंची रसूख वाले है जिसके वजह से रसूख के तले दलित की आवाज दब गई। अब अगर आरोपों को आधार माने तो दलित धर्मराज के हत्या में आरोपियों का पनाहगार बना। नामजद आरोपियों को हिरासत से आजाद कर दिया।
चार दिनो तक हिरासत में रखना गलतः डीआईजी
देवीपाटन मण्डल के डीआईजी अनिल कुमार राय ने इस प्रकरण पर कहाकि वे 24 जून को जरवलरोड थाने गए थे अभिलेखों की पड़ताल में मर्डर का मामला सामने आया। उनके द्वारा पूछने पर बताया गया कि मर्डर का खुलासा कर लिया गया है। आरोपी हिरासत में है। डीआईजी का कहना है कि उन्होंने सीओ अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक से कहा था कि आरोपियों से गहन पूछतांछ करें। यदि दोषी पाये जाते है तो जेल भेजे।
डीआईजी ने आगे बताया कि 26 जून को मेरे पास एक प्रार्थना पत्र आया। जिसमें कहा गया था कि चार दिन से हिरासत में रखा गया था। इस संबंध में मैने एसपी को जांच का आदेश दिया। उच्चाधिकारियों को भी बताया। चार-पांच दिनों तक किसी को बेवजह हिरासत में रखना उचित नहीं है। दण्ड का प्राविधान है। डीआईजी ने स्पष्ट मत दिया कि निर्दोष का उत्पीड़न न हो लेकिन दोषियों के साथ हमदर्दी भी नहीं होनी चाहिए। 27 जून को कोतवाल ने सभी आरोपियों को किस आधार पर छोड़ा। जबकि वे विवेचना अधिकारी भी इस केस में नहीं थे।
जांच के उपरान्त होगी कार्रवाईः एसपी
चार दिनों से हत्या आरोपियों को हिरासत में रखने और पीडि़त पक्ष द्वारा कोतवाल के विरूद्ध लगाए गये बिन्दुओं पर जांच होगी। गुण दोष के आधार पर कार्रवाई होगी। एसपी ने कहा डीआईजी के आदेश पर जांच प्रारम्भ हो चुकी है।
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