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कुम्हार माटी कला उद्योग को राष्ट्रिय दर्जा देने की मॉग

प्रदीप दुबे (विक्की)

भदोही. देश में प्लास्टिक का प्रचलन बहुत तेजी से हो रहा है, जो नष्ट होने में असमर्थ है क्योंकि मिट्टी के कला का विकास न हो सका, देश में जितनी भी पार्टियां-सरकार आदि आयीं उसे इसका ध्यान नही आया, कुछ तो कला बोर्ड की स्थापना हुआ जो कार्यालय तक ही सिमित हो कर रह जाती है। उस बोर्ड का कोई चेयरमैन बना कर लाल बत्ती देकर अबोध कलाकारों को
भ्रमित किये हुए है, और वोट की राजनीति कर रहे हैं,

उक्त वक्तव्य शोषित समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सेवालाल प्रजापति ने कहे उन्होंने कहा कि ज को बेचने का काम करते चले आ रहें हैं,मित्रों! अपने मन रूपी मंदिर में स्थायी भाव से सोचें कि क्या इस भांति इस कला का विकास संभव है,कभी नहीं….. इस कला का विकाश यदि चाहते हैं तो “मिट्टी कला उद्योग को सरकार द्वारा उद्योग का दर्जा मिले क्योकि जिस तरह अन्य उद्योगों में पढ़ाई, प्रशिक्षण, कार्यशालाएं आदि की ब्यवस्था सरकार करती है, उसी भांति इस उद्योग में भी वैसे ही ब्यवस्था होनी होनी चाहिए जिस तरह कपड़ा, लोहा, इस्पात, प्लास्टिक आदि में सरकार द्वारा आई टी आई, पॉलिटेक्निक, बीटेक, एमटेक आदि की शिक्षण-प्रशिक्षण सरकार करवाती है, उसी भांति मिट्टी कला का भी विकास करना सरकार की जिम्मेदारी होनी चाहिए, यदि इस कला में उद्योग का दर्जा मिला तो समस्त जिम्मेदारी सरकार की होगी,

उन्होंने कहा कि इससे इस कला को अपनाने वाले इस कला में डॉक्टर  ,इंजिनियर आदि पैदा होंगे तो इस कला को पढ़ने का मन करेगा लोगो का मन जो इस कला से हटा हुआ है,वह जुटना प्रारम्भ होगा और विकास सम्भव है। इस कला के लिए मिट्टी, मूल्य, बाजार, ऋण, छूट, आयात-निर्यात, आदि सरकार की जिम्मेदारी है। कोई समाज इसका विरोध भी नही कर सकता क्योंकि यह विद्या के रूप में प्रसारित होगी ।मिट्टी के काम में पढ़ाई करना पृथ्वी पर प्रथम कला विद्या है,जो मनुष्यों को भोजन पका कर खाना प्रारंभ किया यदि मिट्टी का पात्र पृथ्वी से समाप्त हो गयी तो मनो पूरा पृथ्वी रोगी होने से कोई रोक नही सकता। तो मित्रों!हमे सरकार से ऐसी मांग रखनी चाहिए जिसंमे इन कलाकारों का संपूर्ण विकास हो सके, और दूसरे समुदाय के लोगों को इसका बिरोध करने का मौका भी न मिले जो सहयोग के भाव रखें। यही एक रास्ता है जिससे समस्त विकास सम्भव है। कम शब्दों में पूरी बात भी हो जायेगी। लोगों को सुनने ,कहने में भी आसानी होगी।

aftab farooqui

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