तारिक आज़मी.
नूरपुर और कैराना में हुई करारी हार के बाद भाजपा के अन्दर एक अजीब बेचैनी सी मची हुई है. पार्टी के अन्दर के सूत्रों की माने तो इसके सम्बन्ध में बड़ी कार्यवाही संगठन के स्तर पर जल्द ही हो सकती है. दरअसल संघ की चिंता यह है कि जिस पलायन के मुद्दे पर एक वर्ष पहले ही पश्चिमी उप्र में उसे एकजुट हिंदुओं का वोट मिला था, उसी कैराना में वह समीकरण क्यों नहीं बन पाया।
संघ के चिंता का एक बिंदु यह भी है कि पश्चिमी उप्र से ठाकुर, दलित और वैश्य बिरादरी के लोगों को राज्यसभा और गुर्जर के रूप में एक पिछड़े को विधान परिषद भेजने तथा बागपत के सांसद सत्यपाल सिंह को केंद्रीय मंत्रिमंडल में लेने के बावजूद सारे समीकरण आखिर फेल कैसे हो गए? पार्टी के अन्दर के सूत्रों की माने तो कैराना और नूरपुर में पराजय के बाद संघ और भाजपा ने डैमेज कंट्रोल का खाका खींचना शुरू कर दिया है। जल्द ही इसके नतीजे सामने आएंगे। महागठबंधन बनाकर विपक्ष के मुकाबले में उतरने की संभावनाओं के मद्देनजर भगवा टोली के रणनीतिकारों ने वोटों का गणित दुरुस्त रखने पर भी चिंतन-मंथन किया।
यही नहीं मंत्रिमंडल में फेरबदल होने की भी चर्चा है। बताया जाता है कि इस फेरबदल में उन मंत्रियों का कद छांटा जा सकता है जिन पर पश्चिम में भाजपा की कश्ती को पार लगाने की जिम्मेदारी थी।
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