इटावा जनपद में आज भी कई ऐसे गाँव है जहाँ आजादी के 70 साल बाद भी अपने मौलिक अधिकारों से बंचित है देश की राजधानी दिल्ली से लगभग 320 कि मी की दूरी पर और प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लगभग 230 कि मी की दूरी पर इटावा जनपद में बीहड़ी क्षेत्र में बसे कई गाँव वासिंदे आज भी नर्क की जिंदगी जी कर अपने परिवार के साथ जीवन का संघर्ष करते दिखाई दे रहे हैं। इस जनपद के गरीबों की जमीनी हकीकत को देखा जाये तो शायद देखने वालों के पैरों तले जमीन खिसक जायेगी क्या आजादी के बाद बीहड़ में बसे गाँव बालों को जीने का अधिकार आखिर क्यों नही मिला, आजादी के बाद कई सरकारें आयीं गईं लेकिन आज भी इन गरीबों का दर्द जानने कोई भी क्यों नही पहुंचा। जब गाँव मे मीडिया टीम पहुंची तो गरीबों को जीने की उम्मीद दिखाई दी।
गाँव वालों का क्या है जीवन
इटावा जनपद के गाँव घुरा दूसरा पूँछरी ग्राम पंचायत नगला तौर जहां पर ग्राम प्रधान संध्या तोमर हैं। गाँव बालों का कहना है हमारे गाँव मे कई दशकों से पीने के लिये पानी का कोई श्रोत नहीं है। हम लोग गाँव से काफी दूर यमुना नदी से पानी भरकर अपने परिवारों को पिलाते है उसी पानी से खाना भी बनाते है ये वही यमुना नदी है जो हर शहर से होकर गुजरती है जहाँ शहर के हर गन्दे नाले यमुना नदी में डाले जाते है इसी पानी को ये गरीव अमृत समझकर पीने को मजबूर है जो आये दिन बड़ी से बड़ी बीमारियों को न्योता देते हैं।
इटावा “भाजपा सरकार सबका साथ सबका विकास” खुले में शौंच न जाने की बात करती है आखिर वो विकास की डोर कहाँ है जो आज इटावा जनपद में कई गाँव अपने झोपड़ी में रहकर एक नर्क की जिन्दगी जीने को मजबूर हैं। सरकार गरीबों को आबास और शोंचालय, उज्जला योजना के साथ-साथ कई योजनाओं की बात करती है फिर भी आखिर इन गरीबों तक क्यो नहीं पहुँचे इन लाभकारी योजनाओं के फायदे?
इटावा मुख्यमंत्री आदित्य नाथ योगी जो पहली बार मुखिया मुलायम सिंह यादव के ग्रह जनपद में अपनी विकास की गंगा बहने की बात करते दिखाई दिये कई उपलब्धियां गिनाई लेकिन इटावा जनपद में प्रसाशनिक अधिकारी अपनी ड्यूटी पर सिर्फ कुर्सियां ही तोड़कर आबास में ऐशोआराम करते है जनपद में देखा जाए आज भी कई गाँव विकास से कोसों दूर है जहां अधिकारियों के कानों पर जूं तक नही रेंगी।
यमुना नदी के किनारे बसे कई गांव आज भी पानी के संकट से जूझ रहे है गाँव बालों का कहना है हमारी पंचायत में कई एसे गाँव है जहां ग्राम प्रधान अपनी दवंगई से गरीबों से सरकारी हैडपम्प लगाने के लिए 10 हजार की राशि लेता है आखिर झोपड़ी में रहने बाले अपने परिवार को दो वक्त की रोटी खाने को मुहताज है आखिर सरकारी हैडपम्प के लिये इतनी बड़ी राशि कहाँ से दे पायेंगे सरकार एेसे ग्राम प्रधानों पर कार्यबाही क्यो नहीं करती है?
सबाल इस बात का है आखिर बर्तमान प्रधान सन्ध्या तोमर की किसी प्रसाशनिक अधिकारी ने खबर क्यों नहीं ली फर्जी हस्ताक्षर कर शासकीय राशि निकालकर कर गरीबों के हक पर पर्दा डालकर गरीबों के हकों को लूटा जा रहा है। अब देखना ये होगा एेसे प्रधान जी पर जांचकर कर कार्यबाही होगी या गरीबों के मंसूबो पर पानी फेर दिया जायेगा? गांव वालों का कहना है अपने हक की लड़ाई लड़ते लड़ते कई पुरखे अपनी अपनी उम्मीदों को लेकर अपने साथ अलविदा हो गये लेकिन आज भी इन गरीवों की हालत वैसी ही देखी जा सकती है
इटावा मीडिया टीम जब एस डी एम जसवंतनगर के पास पहुँची तो जनपद में बसे कई गाँव जो उपजिलाधिकारी जसवंतनगर के क्षेत्र में आते है तो हाकिम परगना का जबाब मिलता है इसमें हम कुछ भी नहीं कह सकते है! तो क्या अधिकारियों को सिर्फ अपनी कुर्सी तक ही जानकारी होनी चाहिये? गाँवों के विकास का हाल देखा जाये तो प्रशासन की लापरवाही से कई किसानों की भूंख से मौते हो चुकीं हैं। आखिर इसका जिम्मेदार कौन है?
आजादी के बाद भी गाँव मे नहीं बनाई गई कोई सड़क सन 2006 में भीषण आग लगने के कारण पूरा गांव हो गया था जलकर राख। आज भी फायर बिग्रेड की गाड़ियां नहीं पहुच पाती हैं। गांव में 2 दिन पहले भी लग चुकी है एक गरीब परिवार की झोपङी में आग किसी तरह ग्रामीणों ने धूल फेंक कर बुझाई। दमकल गाड़ियों के पहुंचने का रास्ता के नाम पर सरकार ने गरीबों का तोड़ा सपना
इटावा उत्तर प्रदेश का जिला इटावा में कई गाँव ऐसे भी है जहाँ कई परिवार बीते कई दशकों से छप्परो में रहकर अपना जीवन वितीत करते दिखाई दे रहे है।जहाँ एक ओर प्रधानमंत्री आवास योजना की बात की जा रही है तो वही ऐसे भी पात्र है जिन्हे आजतक आवास तो छोडो शौचालय तक सरकार ने मुहैया नही करा पाया है ।महिलाये खुले में शौच करती है तो वही घासफूस की दिवाले बनाकर रहने वाले इन परिवारो को मूलभूत सुविधाओ की आजतक जानकारी ही नही हुई ।अपनी जरुरतो की सरकार में बैठे अधिकारियो से गुहार लगाने के बाबजूद भी सुनवाई न होने से परेशान इन परिवारो ने अब शिकायत करना ही बंद कर दिया है ।जहाँ एक ओर प्रधानमंत्री मोदी की उज्ज्वला योजना घर घर महिलाओ को निशुल्क गैस सिलेंडर देने का दावा ठोकती है तो दूसरी ओर इन परिवारो को आजतक लकड़ी के माध्यम से भोजन पकाने के लिए मजबूर होना पड रहा है ।डीएम इटावा जहाँ ओडीएफ जिला घोषित करने की बात कर रही है तो वही इन परिवारो की महिलाओ समेत सभी लोगो को खुले में शौच करने को बीते 35 साल से मजबूर होना पड रहा है ।आखिर कब मिलेगा सरकार के खजाने से पात्रो को लाभ इस उम्मीद से इन परिवारो की निगाहें अटकी हुई है ।*
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