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समझौते पर हुआ हस्ताक्षर – इज़राइल और म्यामार करेगे इतिहास के किताबो में बदलाव

आफताब फारूकी

इस्राईल और म्यांमार ने एक समझौते पर दस्तख़त किए हैं, जिसके आधार पर दोनों इतिहास की किताबों में बदलाव करेंगे। इस्राईली उप विदेश मंत्री त्ज़िपि होटोवेली ने ट्वीट करके कहा है कि म्यांमार के साथ शिक्षा समझौता, विश्व में हमारे दोस्तों के साथ सहयोग की एक कड़ी है। इस समझौते से इस्राईल और म्यांमार के बीच, मज़बूत संबंधों का पता चलता है, यह दोनों ही मुसलमानों के नस्लीय सफ़ाए के लिए पहचाने जाते हैं।

इस्राईल पिछले 70 वर्षों से फ़िलिस्तीनियों का नस्लीय सफ़ाया कर रहा है, जबकि म्यांमार में रोहिंग्या मुसमलानों का लगभग नस्लीय सफ़ाया हो चुका है। इस्राईल लगातार म्यांमार की सेना को हथियार और यातना के लिए इस्तेमाल होने वाले उपकरणों की आपूर्ति कर रहा है और पिछले साल रोहिंग्या मुसमलानों पर इस देश में बढ़ते अत्याचारों के बाद, तेल-अवीव ने हथियारों के निर्यात में अभूतपूर्व वृद्धि कर दी।

इस्राईली अख़बार हारेट्ज़ की रिपोर्ट के मुताबिक़, ज़ायोनी शासन और म्यांमार के बीच हुए इस समझौते के तहत, म्यांमार के स्कूलों में होलोकॉस्ट और यहूदी विरोधी भावनाओं के नकारात्मक परिणामों के बारे में पढ़ाया जाएगा।

इस्राईल और म्यांमार छात्रों और शिक्षकों का आदान प्रदान भी करेंगे। हारेट्ज़ के मुताबिक़, इस समझौते के आधार पर दोनों यह भी देखेंगे कि एक दूसरे के पाठ्यक्रमों की किताबों में एक दूसरे को किस तरह से चित्रित किया गया है। दोनों देशों के अधिकारी एक दूसरे के पाठ्यक्रमों का अध्ययन करेंगे और उन भागों में बदलाव का सुझाव देंगे, जो दोनों में से किसी के लिए चिंता का कारण है।

पिछले साल, संयुक्त राष्ट्र संघ ने म्यांमार की सेना द्वारा रोहिंग्या मुसलमानों के जातीय सफ़ाए को पाठ्यपुस्तक के एक जातीय सफ़ाए का उदाहरण बताया था। इस्राईल ने 30 मार्च से 15 मई तक फ़िलिस्तीनियों के वतन वापसी नामक प्रदर्शनों के दौरान, 150 से अधिक प्रदर्शनकारियों को शहीद कर दिया था और 14 मई को केवल एक ही दिन में कई बच्चों समेत 62 से अधिक प्रदर्शनकारियों को मौत के घाट उतार दिया था।

पिछले हफ़्ते इस्राईल की उच्च अदालत ने फ़िलिस्तीनियों के ख़ान अल-अहमर गांव को ध्वस्त करने का आदेश दिया था, जो फ़िलिस्तीनियों के जातीय सफ़ाए की ही एक कड़ी है। इस्राईली उच्च अदालत में म्यांमार को हथियारों के निर्यात के ख़िलाफ़ याचिका दाख़िल करने वाले इस्राईली वकील ईटे मैक का कहना है कि म्यांमार की सेना इस्राईली गनबोट्स का इस्तेमाल अपना घर बार छोड़कर और अपनी जान बचाकर भागने वाले रोहिंग्या शरणार्थियों को निशाना बनाने के लिए कर रही है।

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