आफताब फारुकी
इस्लामी गणतंत्र ईरान की संसद ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से अमेरिका के निकलने से यह सिद्ध हो गया है कि वॉशिंगटन एक ऐसे अवैध शासन के हितों के लिए काम करता है जो मानवाधिकारों के हनन में दुनिया की नंबर एक सरकार है।
ईरान की संसद में मानवाधिकारों से संबंधित आयोग ने एक बयान जारी करके कहा है कि अमेरिका को सबसे पहले यह जान लेना चाहिए कि वह आज जिस अवैध शासन के लिए पूरी दुनिया से लड़ने को तैयार है और उसके लिए हर तरह के मानवाधिकर को कुचलने पर उतारू है, उसका नतीजा केवल एक ही है और वह यह कि अमेरिका अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक तन्हाई का शिकार हो जाएगा। आयोग ने कहा कि आज नहीं तो कल अमेरिका को अपने इन अमानवीय कृत्यों का हिसाब दुनिया को देना ही होगा।
ईरानी संसद के मानवाधिकार आयोग ने कहा है कि अमेरिका का यह इतिहास रहा है कि उसने हमेशा अंतर्राष्ट्रीय क़ानूनों का उल्लंघन किया है और वह कभी भी किसी अंतर्राष्ट्रीय समझौते पर बाक़ी नहीं रहा है। आयोग ने कहा कि अमेरिका ही वह पहला देश है जो मानवाधिकार परिषद से बाहर निकला है। वॉशिंग्टन अपने इस क़दम से एक ओर उक्त परिषद के निर्णय को अप्रभावी बनाना चाहता है और दूसरी ओर वह स्वयं और इस्राईल के लिए ऐसा क़ानून चाहता है कि वे जो भी अत्याचार करें, जितना भी मानवाधिकारों का हनन करें उनको कोई रोके टोके नहीं।
उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने इस्राईल के समर्थन में 19 जून को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से निकलने की घोषणा करते हुए उक्त परिषद पर आरोप लगाया था कि वह इस्राईल से बैर रखती है।
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