आदिल अहमद.
कानपुर. रमजान अपनी रहमतो के साथ गुज़र रहा है. सिर्फ तीन दिनों के रमजान और बचे है. मुस्लिम समाज ईद की तैयारिया जोरो शोरो से कर रहा है. इस बार रमजान काफी गर्मियों में पड़ा, गर्मिया भी इतनी कि कूलर फेल, एसी फेल मगर सच मायने में रोज्दारो के सामने गर्मी की शिद्दत फेल हो चुकी है. सब कुछ सामान्य सा गुज़र रहा है मगर शहर में अभी भी कुछ है जो इस बार रमजान में कुछ कम कम सा महसूस हो रहा है.
विगत काफी वर्षो से जिले के जिलाधिकारी के तरफ से रोज़ा इफ्तार पार्टी का आयोजन होता रहा है. इस इफ्तार पार्टी में जहा शहर की मोअज्जिज़ हस्तिया शामिल होती थी वही शहर का आम इंसान भी इस इफ्तार पार्टी का हिस्सा बनता था. हर वर्ष के तरह कानपुर को इस बार भी इस इफ्तार पार्टी के आयोजन का इंतज़ार है, मगर आज जब केवल दो रोज़े या तीन रोज़े ही बचे है मगर जिलाधिकारी के तरफ से आयोजित होने वाले इफ्तार पार्टी का है कोई पता अथवा चर्चा नहीं है.
अब रोज्दार जो इस इफ्तार पार्टी का इंतज़ार कर रहे थे उनके चेहरे पर मायूसी से ज्यादा एक सवाल तैरता नज़र आ रहा है. वह सवाल यह है कि गंगा जमुनी तहजीब का मरकज़ ये शहर आज क्या वजह है कि जिलाधिकारी के इफ्तार पार्टी से महरूम रह गया है. कही ये किसी बदलाव का एक संकेत तो नहीं है, अब इस सवाल का जवाब या तो भगवान् जाने या फिर जिलाधिकारी महोदय जाने. हम तो ख़ामोशी के साथ बस खामोश रह कर देखते रहेगे,
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