आदिल अहमद / रिजवान अंसारी
क़तर ने ऐसे हालात में अपने नागरिकों के अधिकार के हनन के विषय पर संयुक्त राष्ट्र संघ की अदालत में यूएई के ख़िलाफ़ मुक़द्दमा दायर किया है कि सऊदी अरब की अगुवाई वाले चार अरब देशों के गठबंधन द्वारा क़तर के बहिष्कार को एक साल हो रहे हैं।
क़तर ने हेग स्थित इंटरनैश्नल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस में सोमवार को दायर किए गए केस में अबू धहबी पर क़तर और क़तरी नागरिकों के ख़िलाफ़ पक्षपाती रवैया अपनाने का इल्ज़ाम लगाया है और क़तरी नागरिकों को अपने यहां से निकालने तथा दोहा को उसके एयरस्पेस के इस्तेमाल से रोकने के यूएई के फ़ैसले को इस इल्ज़ाम का आधार बनाया।
क़तरी सरकार ने अपने बयान में कहाः “क़तर की ओर से अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट में दायर की गयी अर्ज़ी में कहा गया है कि यूएई की इन कार्यवाहियों का क़तरी आवासियों और क़तरियों के मानवाधिकार पर बहुत बुरा असर पड़ा है।” क़तरी न्यूज़ एजेंसी क्यूएनए की रिपोर्ट के अनुसार, यूएई के अधिकारी क़तर और क़तरी नागरिकों के ख़िलाफ़ व्यापक स्तर पर ऑनलाइन मीडिया अभियान में शामिल हैं जिसका लक्ष्य फ़ार्स खाड़ी के इस अरब देश के ख़िलाफ़ नफ़रत भड़काना है।
क़तर के विदेश मंत्री मोहम्मद बिन अब्दुर्रहमान आले सानी ने कहाः”यूएई ने क़तर के नागरिकों की नागरिकता के आधार पर उनके ख़िलाफ़ जानबूझ कर पक्षपाती रवैया अपनाया है जिसके नतीजे में मानवाधिकार का घोर उल्लंघन हुआ है।” उन्होंने कहाः “आज की अर्ज़ी का पहला लक्ष्य इन उल्लंघनों को रुकवाना और यूएई की कार्यवाही से बहुत से क़तरी नागरिकों के मूल अधिकारों को फिर से दिलवाना है।
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