गाजियाबाद। लोनी पुलिस प्रशासन की सांठगांठ के चलते सभी तय मानकों व नियमों को ताकपर रखकर यमुना का सीना चीरकर अवैध रूप से बालू खनन करने वाले माफिया सरकार को लाखों रूपए रोज का चूना लगा रहे हैं। क्षेत्रवासियों का आरोप है कि उक्त गंभीर प्रकरण की शिकायत के बावजूद भी संबंधित अधिकारी इस ओर से अंधे और बहरे बने हुए बैठे हैं। कमाल की बात तो यह है कि क्षेत्रीय विकास की बात करने व अपने को पाक- साफ और जनता हितैषी होने की बात कहने वाले क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों द्वारा भी इसकी अनदेखी की जा रही है। जिन्होंने तुरंत इस गोरखधंधे के विरुद्ध अपनी आवाज बुलंद नहीं की तो उनकी छवि भी संदिग्ध होना तय है जिसका नतीजा आने वाले समय में उन्हें भी भुगतना पड़ सकता है।
उपजिलाधिकारी की क्या है मजबूरी
गौरतलब हो कि पचायरा में चलने वाली उक्त खान पर अवैध रूप से हो रहे खनन की सूचना पाकर करीब 2 महीने पहले तैनाती पाने वाले उपजिलाधिकारी अमित पाल शर्मा ने मौके पर पहुंचकर वहां नियमों के विरुद्ध यमुना के बीच से रेत निकालते हुए तीन पोपलेन मशीनों को रंगे हाथों पकड़ उन्हें सील कर दिया था। तथा खान का काम बंद करा उसके स्वामी पर 15 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। हालांकि कुछ दिनों बाद ही उक्त खनन पुनः अपने विस्तार में आ गई है। जबकि बात नियमों व मानकों की करें तो उसकी अनदेखी आज भी ज्यों की त्यों बनी हुई है। अब ऐसे में खनन माफियाओं व नवनियुक्त एसडीएम के बीच खनन का काम पुनः शुरू करने के लिए क्या आधार तय किया गया है यह सभी की समझ से परे है।
ऑवरलोड वाहनों से लगा करोड़ों का पलीता
खान में सैकड़ों की तादाद में रेत लादकर आने वाले वाहनों की ऑवरलोडिंग देखकर आमजन कोई भी अपने दांतो तले उंगली दबाने से अपने को रोक नहीं पाता हैं मगर मजे की बात यह है कि उनका किसी भी संबंधित अधिकारी या कर्मचारी पर कोई असर पड़ता नजर नहीं आता है। बिना तिरपाल के ढके अपने विस्तार व तय वजन से लगभग दोगुना रेत लादकर सड़क पर दौड़ने वाले इन वाहनों के कारण जहां सरकार द्वारा सड़क निर्माण में खर्च किए गए करोड़ों रुपयो का पलिता लग चुका है वही उनसे गिरने वाले रेत के कारण आम यात्रियों के लिए भी वह किसी मुसीबत से कम नहीं है। क्योंकि इन वाहनों के कारण सड़क की स्थिति इतनी दयनीय हो गई है कि वहां से आने- जाने वाले अन्य वाहनों के लिए वह एक बड़ी परेशानी का सबब बन गई हैं।
सभी है एक ही थाली के चट्टे-बट्टे
क्षेत्रीय लोगों ने जहां बालू खनन के इस अवैध गोरखधंधे में पुलिस प्रशासन पर यह आरोप लगाया है कि खनन माफियाओं ने जहा सभी संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों को नजराने के तौर पर उनसे तयनुसार प्रति माह एक मोटी रकम देकर उन्हें अपने बस में कर लिया है वहीं दूसरी और बड़ी-बड़ी डींग हांकने वाले जनप्रतिनिधियों का भी इस ओर से चुप्पी साधे रहना उनकी कार्यप्रणाली को भी संदिग्ध बनाता है। जो इस तरह स्वयं ही अपनी सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व का चूना लगाने का काम कर रहे हैं। अब ऐसी स्थिति में सभी एक ही थाली के चट्टे-बट्टे नजर आने लगे हैं।
पचायरा की उक्त खान पर मानको के विरुद्ध अवैध रूप से खनन होता हुआ पाया गया था। जहां यमुना के बीच से रेत निकालते हुए पाई गई तीन पोकलेन मशीनों को सील कर दिया गया था तथा खान को बंद करा उसके स्वामी पर 15 लाख रुपए का जुर्माना किया गया था। जिसे जमा कराने के बाद यह चेतावनी देते हुए कि खान संचालन के कार्य में सभी नियमों का विशेष ध्यान रखा जाए, खान को पुनः चलाने की अनुमति दे दी गई थी। मगर इसके बावजूद भी यदि कोई शिकायत पाई जाती है तो उसके विरुद्ध दोबारा कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।
एक रवन्ना पर वाहन लगा रहे है कई कई चक्कर
खनन की शर्तों के अनुसार हर वाहन को प्रत्येक चक्कर मे रवन्ना लेनी जरूरी है।वही वाहन स्वामी व पट्टा धारकों में सेटिंग होने पर सुबह एक चक्कर पर रवन्ना ले लेते है।उसके बाद उस तिथि में कई कई चक्कर उसी रवन्ना पर लगाकर सरकार को लाखों रुपये प्रतिदिन चुना लगाया जा रहा है।
तारिक आज़मी डेस्क: अयोध्या की बाबरी मस्जिद उसके बाद बनारस की ज्ञानवापी मस्जिद और फिर…
निलोफर बानो डेस्क: आज समाजवादी पार्टी का एक प्रतिनिधि मंडल दंगाग्रस्त संभल के दौरे पर…
ईदुल अमीन डेस्क: वफ़्फ़ संशोधन विधेयक 2024 पर गठित संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) में…
माही अंसारी डेस्क: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से एकनाथ शिंदे ने इस्तीफ़ा दे दिया है।…
संजय ठाकुर डेस्क: उत्तर प्रदेश के संभल ज़िले में शाही जामा मस्जिद के सर्वे के…
निसार शाहीन शाह जम्मू: जम्मू कश्मीर के कटरा में रोपवे लगाने को लेकर विरोध प्रदर्शन…