- गांव के बसपा नेता हाजी नूर सैफी का कहना है कि गांव में दोनों समुदाय के लोग शांतिपूर्ण ढंग से रहते हैं। लेकिन कुछ समय से कुछ लोग बेवजह मामूली बातों को सांप्रदायिक तूल देने लगे हैं। जिससे गांव का भाईचारा खत्म हो रहा है। इस कारण गांव में रहने का मन नहीं करता। इसी वजह से अपने घर बेचकर जाने पर विचार करना पड़ा।
मेरठ. प्रदेश में एक अजीब सा माहोल चल रहा है. छोटे छोटे मुद्दे को भी सांप्रदायिक मुद्दा बनाने का प्रयास किया जाता है. कभी कभी मुद्दों को इतना गर्म कर दिया जाता है कि सांप्रदायिक माहोल ही ख़राब हो जाता है, ऐसा ही कुछ हुआ था ब्रह्मपुरी थाना क्षेत्र में जहा बाइक से एक भट्टी को धक्का लगने पर उपजे विवाद को इतना सांप्रदायिक तुल दिया गया कि एक सम्प्रदाय विशेष के लोगो ने खुद के पलायन की भी धमकी दे डाली है और अपने घरो के बाहर पोस्टर बैनर के माध्यम से मकान बिकाऊ है लिख डाला. जब घटना की जानकारी अधिकारियो को हुई तो उन्होंने आनन् फानन में मामले का संज्ञान लिया और दुसरे वर्ग के लोगो से बात किया
पहले मामला पूरा समझने की कोशिश किया जाता है. घटना बीती 21 जून की है जब नूरनगर में मिठाई विक्रेता जॉनी की दुकान के बाहर भट्ठी में बाइक की टक्कर लग गई थी. बाइक दुसरे समुदाय के युवक की थी तो राजनितिक रोटी सेकने वालो ने रोटिया सेकी और मामले को सांप्रदायिक विवाद बना दिया था। जॉनी ने लिसाड़ी गांव के चांद, गांधी, सरफराज, समीर, इदरीश, शमी, आदि के खिलाफ नामजद और अन्य के खिलाफ मारपीट, बलवे और लूट का मुकदमा दर्ज कराया था।
अब इसी विवाद या कथित बलवे के आरोपी गांधी के भाई फ़िरोज़ के आरोपो को आधार माने तो घटना के दुसरे दिन जानी के पक्ष के लोगो ने उसकी मिलकर पिटाई किया था, जिससे उसको काफी चोटे आई थी. फ़िरोज़ के आरोपों को अगर आधार माना जाये तो फिर कही न कही से ब्रह्मपुरी थाने की कार्यवाही शंका को बल देती है. फ़िरोज़ का कहना है कि घटना की शिकायत करने वह ब्रह्मपुरी थाने गया मगर उसकी शिकायत दर्ज नहीं किया गया. उलटे एक पक्षीय कार्यवाही थाना ब्रह्मपुरी के तरफ से प्रचलित रही.
इसी मसले को लेकर बुधवार देर रात लिसाड़ी गांव के दूसरे समुदाय के 15-20 लोगों ने अपने घरों के बाहर ‘मकान बिकाऊ है’ के पोस्टर लगा दिए। गांव के बसपा नेता हाजी नूर सैफी का कहना है कि गांव में दोनों समुदाय के लोग शांतिपूर्ण ढंग से रहते हैं। लेकिन कुछ समय से कुछ लोग बेवजह मामूली बातों को सांप्रदायिक तूल देने लगे हैं। जिससे गांव का भाईचारा खत्म हो रहा है। इस कारण गांव में रहने का मन नहीं करता। इसी वजह से अपने घर बेचकर जाने पर विचार करना पड़ा। इसके अलावा हाजी गुलमोहम्मद अलाउद्दीन, जान मोहम्मद, सइदुद्दीन, रहीसुद्दीन, अनीस, नौशाद, इदरीश आदि ने पोस्टर लगाए थे।
तारिक आज़मी डेस्क: संभल की शाही जामा मस्जिद को श्रीहरिहर मंदिर बताने को लेकर पहली…
मो0 सलीम डेस्क: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके के अध्यक्ष एम के स्टालिन ने भारतीय…
मो0 कुमेल डेस्क: महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों पर एक चरण में बुधवार यान 20…
तारिक खान डेस्क: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से एक दिन पहले बहुजन विकास अघाड़ी के…
ईदुल अमीन वाराणसी: गांधी विरासत को बचाने के लिए वाराणसी स्थित राजघाट परिसर के सामने…
माही अंसारी डेस्क: मणिपुर एक बार फिर हिंसा की आग में जल रहा है। जिरीबाम…