सऊदी गठबंधन ने यमन के अलहुदैदा बंदरगाह पर क़ब्ज़ा करने के उद्देश्य से भीषण हमले आरंभ कर रखे हैं। यमन पर सऊदी अरब के हमलों में अबतक हज़ारों निर्रोष लोग मारे जा चुके हैं। इन हमलों के परिणाम स्वरूप लाखों यमनवासी बेघर हो चुके हैं। हालांकि सऊदी अरब का दावा है कि वह यमन संकट के कूटनैतिक समाधान के पक्ष में है जबकि इसके लिए वह विमानों और हथियारों का प्रयोग कर रहा है।
यमन के परिवर्तनों के संदर्भ में इस्लामी क्रांति के सरंक्षक बल के कमांडर मुहम्मद अली जाफ़री कहते हैं कि अलहुदैदा में सऊदी अरब को पराजय का मुंह देखना होगा और निकट भविष्य में यमनी जनता विजयी होगी।
टीकाकारों का कहना है कि सऊदी अरब का एक उद्देश्य, क्षेत्र को अस्थिर बनाना है जिसमें अमरीका और इस्राईल दोनों ही रेयाज़ के साथ हैं। सऊदी अरब की उंची उड़ान के कारण इस देश को वर्तमान समय में गंभीर आर्थिक और सैनिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इन परिस्थितियों के कारण सऊदी अरब बौखलाहट का शिकार हो चुका है। अपनी इसी बौखलाहट को छिपाने के उद्देश्य से उसने जो नीतियां निर्धारित की हैं उनमें, यमन की घटनाएं और बहरैन में सरकार विरोधियों का दमन सर्वोपरि है।
यमन की वर्तमान त्रासदी वास्तव में इसी नीति का स्पष्ट परिणाम है। क्षेत्र में जो देश प्राक्सी वाॅर का नेतृत्व कर रहे हैं उनके दृष्टिगत कई लक्ष्य हैं। इनहीं लक्ष्यों में से क्षेत्र में राजनैतिक समीकरणों को बदलना, प्रतिरोध को कमज़ोर बनाना और अरबों डालर के हथियार बेचना है।
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