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युएई के शहरों पर मंडराने लगे खतरे के बादल, ब्रिटेन ने दिया चेतावनी

आफताब फारुकी

संयुक्त अरब इमारात में रहने वाले अपने नागरिकों को ब्रिटेन ने चेतावनी दी है कि दुबई तथा अन्य शहरों पर मिसाइल हमले हो सकते हैं इसलिए वह बहुत अधिक सावधानी बरतें। ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय ने शनिवार को अपने नागरिकों को चेतावनी दी कि यमन में जारी लड़ाई के जवाब में इस बात की प्रबल संभाव है  दुबई सहित इमारात के शहरों पर यमनी मिसाइल गिरें। विदेश मंत्रालय के वेबसाइट पर यह चेतावनी जारी की गई है।

ब्रिटेन की इस चेतावनी से संयुक्त अरब इमारात को गहरा झटका लगना तय है क्योंकि यह तो सच्चाई है कि यमन की सेना और स्वयं सेवी बलों ने अपनी मिसाइल ताक़त में लगातार वृद्धि की है और यह मिसाइल सऊदी अरब की राजधानी रियाज़ सहित अनेक शहरों को सफलता के साथ निशाना बना रहे हैं। यमनी सेना और स्वयंसेवी बलों ने इस बात का भी ध्यान रखा है कि मिसाइल हमलों का निशाना आम नागरिक न बनें बल्कि सैनिक, स्ट्रैटेजिक और औद्योगिक प्रतिष्ठानों पर मिसाइल गिरें ताकि हमलावर देशों को कठोर संदेश जाए।

सऊदी अरब के नेतृत्व में जो गठबंधन यमन पर हमले कर रहा है उसने इस देश का मूल ढांचा ध्वस्त करके रख दिया है। गठबंधन के हमलों में 10 हज़ार से अधिक यमनी नागरिक मारे गए और 30 हज़ार से अधिक घायल हुए हैं।

यमन की सेना और स्वयंसेवी बलों ने जवाब में प्रभावी रूप से मिसाइल हमले किए हैं। यमन की सेना और स्वयंसेवी बलों ने विशेष रूप से सऊदी अरब के सैनिक व स्ट्रैटेजिक प्रतिष्ठानों पर मिसाइल मारे हैं लेकिन कुछ हमले इमारात के सामरिक प्रतिष्ठानों पर भी किए गए हैं। हमेशा यमन के मिसाइल हमलों के बाद सऊदी अरब और इमारात से जुड़े मीडिया ने यही प्रोपैगंडा किया कि यमन से मारे गए मिसाइल को हवा में ही ध्वस्त कर दिया गया और कोई भी मिसाइल अपने टारगेट तक नहीं पहुंच रहा है। लेकिन ब्रिटेन की चेतावनी से यह साफ़ है कि यमन की सेना और स्वयंसेवी बलों के दावे पूरी तरह सही हैं कि वह सफलता के साथ अपने लक्ष्यों को ध्वस्त कर रहे हैं।

यमन के अंसारुल्लाह आंदोलन के प्रमुख अब्दुल मलिक अलहौसी चेतावनी दे चुके हैं कि निवेशकों के लिए उचित होगा कि अब सऊदी अरब और इमारात को सुरक्षित स्थान न समझें बल्कि अपने निवेश के लिए अन्य सुरक्षित स्थान ढूंढ लें क्योंकि यमन पर इन देशों के हमले के जवाब में हमलावर देशों के शहरों पर मिसाइल हमले किए जाएंगे।

इस समय यमन के हुदैदा शहर पर सऊदी और इमारात ने अन्य देशों के साथ मिलकर बड़े पैमाने पर हमला किया है। इस लिए इस बात की संभावना बढ़ गई है कि यमन की सेना और स्वयं सेवी बलों की ओर से सऊदी अरब के साथ ही इमारात के प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया जा सकता है।

इमारात और सऊदी अरब की सरकारें वास्तव में यमन युद्ध हार चुकी हैं और तीन साल से अधिक समय से जारी इस युद्ध में वह अपना कोई भी लक्ष्य पूरा नहीं कर सकी हैं मगर उन्हें विश्वास नहीं हो पा रहा है कि यमन जैसे ग़रीब देश के ख़िलाफ़ उन्होंने जो योजना बनाई थी वह विफल हो गई है। यही कारण है कि इमारात के विदेश राज्य मंत्री अनवर क़रक़ाश ने फिर अड़ियल बयान देते हुए कहा कि हुदैदा पर हमला जारी रहेगा और शहर के भीतर भी लड़ाई  लड़ी जाएगी। इस लड़ाई को रोकने का एक ही रास्ता है कि यमन की सेना और स्वयंसेवी बल इस शहर से बिन शर्त बाहर निकल जाएं।

इन परिस्थितियों को देखते हुए लगता है कि यह लड़ाई और भी लंबी खिंचेगी लेकिन यदि यमन की सेना और स्वयंसेवी बलों ने इमारात और सऊदी अरब पर हमले तेज़ कर दिए तो दोनों ही देशों को भारी नुक़सान उठाना पड़ सकता है। निवेशकों के बारे में कहा जा रहा है कि वह पहले ही सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान की नीतियों से चिंतित हैं और अब मिसाइल हमलों का भय बढ़ जाने के बाद इन निवेशकों के पास सऊदी तथा इमारात से बाहर निकलने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचेगा।

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