चित्रकूट में डॉक्टर की लापरवाही आई सामने नही बनाया गया रिफर कागजात फिर एम्बुलेंस चालक ने इंसानियत को किया शर्मसार
चित्रकूट – कहा जाता है डॉक्टर धरती के भगवान होते है लेकिन यदि धरती के भगवान ही लापरवाही करने लगे तब भगवान के भक्तों का क्या हाल होगा ?
मामला है जिला चिकित्सालय चित्रकूट का जहाँ शर्मीली पत्नी दिनेश वर्मा निवासी रौख़री इटवा को जिला चिकित्सालय में आपातकालीन वार्ड में भर्ती कराया गया । लेकिन मरीज की बेहद गंभीर अवस्था होने के बावजूद भी डॉक्टरों ने गंभीरता से सज्ञान नही लिया मात्र एक बोतल को टांग दिया गया । हालांकि निमुलाइज होने के बाद मरीज की हालत में कुछ सुधार हुआ , लेकिन कुछ ही देर बाद मरीज की ज्यादा हालत खराब होने लगी जिससे मरीज के परिजन डॉक्टर से फिर मिन्नत की दुबारा देख ले ,लेकिन धरती के भगवान के जूं तक न रेंगी महिला तड़पती रही परिजन बिलखते रहे ,जिससे घबराये परिजन एम्बुलेंस की तलाश में निकले!
वी/ओ एम्बुलेंस चालक ने भी इंसानियत को किया शर्मसार ।
जब धरती के भगवान अपने कर्तव्यों का निवर्हन नही किया तब एम्बुलेंस चालक क्यूँ पीछे हटने वाले है , बेहद सीरियस शर्मीली को कंधो पर लेकर परिजन 102 एम्बुलेंस के पास गए और एम्बुलेंस चालक से विनती करने लगे आप हमें इलाहाबाद या जानकीकुंड ही छोड़ दे जिससे हमारे मरीज की जान बच सके लेकिन एम्बुलेंस चालक ने इंसानियत को शर्मसार करते हुए मना कर दिया । जब कुछ लोगो ने एम्बुलेंस को खोलकर मरीज को लिटा दिया और भगवान की तरह एम्बुलेंस चालक से मिन्नतें करने लगे फिर भी 102 एम्बुलेंस ड्राइवर और सुपरवाइजर का दिल नही पसीजा और इंसानियत को शर्मसार करते हुए डायल 100 को बुलाने की धमकी देते हुए भाग खड़े हुए ।
आप तस्वीरों में साफ देख सकते है की किस तरह जिला चिकित्सालय द्वारा इंसानियत गला घोंटा जा रहा है हमारे पास जो साक्ष्य के तौर पर वीडियो है उसमें आप ये भी देख सकते है किस तरह से 102 एम्बुलेंस चालक 100डायल को फोन करते हुए भाग खड़े हुए और शर्मीली ने उसी एम्बुलेंस में ही पड़े- पड़े दम तोड़ दिया ।
एक इंसान का भी कर्तव्य होना चाहिए इंसानियत करना लेकिन 102 एम्बुलेंस सेवा के चालक की करतूतों के कारण एक महिला ने एम्बुलेंस में ही दम तोड़ दिया। योगी और मोदी सरकार से खफा दिखे परिजन ,कहा सरकार गरीबो का खून चूसने का काम करती है , एक गरीब महिला को गंभीर अवस्था मे भी एम्बुलेंस नही दी जा रही। अब देखना ये है कि शासन प्रशासन इस शर्मनाक करतूत पर क्या कार्यवाही करता है? या फिर इंसानियत का गला घोंटने वाले लापरवाह कर्मचारी और डॉक्टर यूँही इंसानियत को शर्मसार करते रहेंगे?
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