सुदेश कुमार
बहराइच।भारत सरकार द्वारा संचालित आयुष्मान भारत योजनाके अंतर्गत कमज़ोर व असहाय वर्गों को सुलभ स्वास्थ्य सेवाएं निःशुल्क प्राप्त कराने के उद्देश्य से चल रहे अभियान का प्रथम चरण समाप्त होने के बाद भी सरकार द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं पर करोड़ों खर्च करने के बावजूद उसका लाभ जरूरतमंदों को बहराइच में नहीं मिल पा रहा है।जबकी ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित चिकित्सालयो की स्थिति का और भी बुरा हाल है।लेकिन यदि हम ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित सरकारी चिकित्सालयो की बात छोड़ सिर्फ़ एक जिला चिकित्सालय की बात करे तोयहाँ सारे भ्रष्टाचार खुलेआम होने के बाद भी अधिकारियों द्वारा अपने अपने पावर के दम पर पूरी निर्भीकता से भ्रस्टाचार के नए नए आयाम लिखे जा रहे है । जहां प्रत्येक मरीजो को न तो निःशुल्क दवाओं का लाभ मिलता और न ही निःशुल्क जांच का जबकि चिकित्सालय परिसर में फैले एजेन्ट चिकित्सको के साथ बैठे कभी भी देखे जा सकते है।जो बाकायदा मरीजों व उनके तीमारदारों को हॉस्पिटल के इर्द गिर्द मधुमक्खी के छत्तों की तरह पनपे प्राइवेट नर्सिंग होम और पैथालॉजी पर भेजने का काम करते रहते हैं। इस प्रकार केंद्र सरकार द्वारा संचालित योजना पर करोड़ों रुपए स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च करने के बावजूद धरातल पर उसका कोई वजूद नज़र नही आ रहा है। इसके अतिरिक्त अन्य कई ऐसी स्वास्थ्य सुविधाओ की भी योजनाए है जिसमे पीड़ितों को इसका कोई लाभ मिलता दिखाई नही दे रहा है। तमाम शिकायतो के बावजूद मुख्य चिकित्सा अधिकारी व मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के पास कोई जवाब नही होता है। और योजनाओं के क्रियान्यवन का दिखावा मात्र करके सरकारी धन का बंदरबांट कर धन को हजम कर लिया जाता है।
मालूम हो कि केंद्र सरकार के निर्देश पर प्रदेश सरकार बाकायदा यह प्रयास कर रही है कि निःशुल्क दवा तथा विभिन्न रोगों की निशुल्क जांच मुहैय्या करने की भरपूर सुविधा दी जाए जिसका लंबे अंतराल से व्यापक पैमाने पर प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से करोड़ो ख़र्च कर प्रचार व प्रसार भी किया जा रहा है। लेकिन चालाक अधिकारी समस्त योजनओ का लाभ धरातल पर उतारकर किसी भी पीड़ित मरीज़ को पहुचाने में किसी प्रकार की कोई कोशिश करते नहीं दिखाई देते। जिस बात को पूछने पर पीड़ित के साथ आवाम भी उसे सही मानती है। वे तो यहां तक कहते है कि दवा के नाम पर भी किसी मरीज को सम्पूर्ण दवा नही मिलती और प्रतिबंध होने के बावजूद मरीजों को ज्यादातर दवायें बाहर से ही ख़रीदवाई जाती है। जांच के नाम पर अत्याधुनिक मशीनों का संजाल चिकित्सालय में होने के बाद भी उनके टेक्नीशियन न होने के कारण सम्पूर्ण जांच किसी भी मरीज की नही हो पाती है, और मशीनों को जंक खाना पड़ता है। बताया यहां तक जा रहा हैं कि इस भीषड़ गर्मी के बावजूद पूरे जिला चिकित्सालय में वाटर कूलर की व्यवस्था का बुरा हाल है जबकि पिछली ही सरकार में इसका धन मुहैय्या कराया जा चुका है। मौजूदा जिला चिकित्सालय और स्वास्थ्य विभाग का इतना बुरा हाल होने के बावजूद भारत सरकार द्वारा लगातार जनता को सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से भवन उपलब्ध कराने के साथ साथ उपकरणों के खेप भेजने के सारे प्रयास हो रहे है, लेकिन क्या भविष्य में जनता को इसका लाभ हो सकेगा । जबकि इस जिला चिकित्सालय बहराइच को पांच सौ अतिरिक्त बेड की सौगात मिलने के साथ मेडिकल कॉलेज की बिल्डिंग भी तैयार होने के कगार पर है लेकिन उक्त दवा, जांच व विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं के तहत पानी की तरह आ रहे धन का आखिर कौन बंदरबांट कर रहा हैं जिसका लाभ आम जनता को नही मिल पा रहा है जो कि आज भी जिले की आवाम के लिए एक बड़ा सवाल बना हुआ है।
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