तारिक़ आज़मी
बनारस। वाराणसी के कबीरचौरा स्थित कबीर मठ के महंत विवेक दास ने 28 जून को संत कबीर नगर में होने वाले प्रधानमंत्री के कार्यक्रम का विरोध किया है। विवेक दास ने कहा कि संत कबीर नगर के मगहर में कबीर दास जी के परिनिर्वाण स्थल पर कबीर प्राकट्य उत्सव मानना एक गलत परंपरा की शुरुआत करना है। उन्होंने प्रधानमंत्री से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की बात कही है।
मोदी से खफा हुए महंत
वाराणसी के कबीरचौरा स्थित मूलगादी में मीडिया से बात करते हुए महंत विवेक दास ने कहा कि जो परिनिर्वाण स्थल है वहाँ पर प्राकट्य उत्सव कैसे मनाया जा सकता है। बता दें कि महंत विवेक दास ही वाराणसी के लहरतारा स्थित कबीर प्राकट्य स्थली, कबीरचौरा स्थित मूलगादी और संत कबीरनगर जिले में स्थित परिनिर्वाण स्थली मगहर, तीनों जगहों के गद्दी महंत हैं।
मुझे क्यों नहीं बुलाया
विवेक दास इस बात से भी नाराज है कि तीनों गद्दियों के महंत होने के बावजूद प्रधानमंत्री के इतने बड़े कार्यक्रम में उन्हें आमंत्रित नहीं किया गया, जिससे कबीरपंथियों में भ्रम है। विवेकदास ने इसे गलत परंपरा करार देते हुए कहा है कि इससे कबीर के विचार को बांटने की कोशिश को बल मिलेगा।
संत कबीर नगर के सांसद पर मढ़ा आरोप
विवेक दास ने पूरे मामले में प्रधानमंत्री की जगह स्थानीय सांसद पर आरोप लगाये हैं। उन्होंने कहा कि स्थानीय सांसद नहीं चाहते कि मगहर के कार्यक्रम में महंत विवेकदास को आमंत्रित किया जाये। उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले मे वहां के सांसद, स्थानीय प्रशासन और प्रबन्ध समिति ने प्रधानमंत्री को गलत जानकारी दी है। प्रधानमंत्री को ऐसा नही करना चाहिए, प्रधानमंत्री अगर कबीर के महानिर्वाण स्थली पर जाकर उनका प्राकट्य उत्सव मनाते हैं तो ये एक गलत कदम होगा। ये कबीरपंथियों को बांटने का प्रयास है।
पीएम जाएंगे तो होगा विरोध, फिर हमको दोष न देना
वहीं महंत विवेक दास ने चेतावनी देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री 28 तारीख को अगर मगहर जाते हैं तो परंपरा टूटने से विचलित कबीरपंथियों का गुस्सा भड़क सकता है, उसकी जिम्मेदारी मेरी नहीं होगी। अगर मगहर में कुछ होता है तो हम जिम्मेदारी नही लेंगे। लोग वहां इक्कठे होंगे और विरोध कर सकते हैं।
हमसे क्या बैर है
विवेक दास के अनुसार प्रधानमंत्री अबतक दर्जनों बार बनारस आ चुके हैं लेकिन ये बात कबीरपंथियों को समझ में नहीं आती कि अबतक उन्होंने ना तो कबीर के प्राकट्यस्थली के दर्शन किये और ना ही कबीरचौरा स्थित मूलगादी जहां से कबीर का संदेश पूरी दुनिया में फैला। विवेकदास ने प्रश्न किया कि आखिर प्रधानमंत्री जी को कबीरदार के प्राकट्यस्थली से क्या बैर है, जबकि ये उनके ही संसदीय क्षेत्र में आता है।
यहां मनाएं जयंती, मगहर में नहीं
अगर कबीर दास की जयंती मनानी ही है तो उन्हें वाराणसी के लहरतारा या कबीर चौरा आना चाहिए, जहां कबीर को निर्वाण की प्राप्ति हुई वहां जाकर प्राकट्य उत्सव मनाना गलत परंपरा की शुरुआत है।
दो साल पहले भी उठा था मामला
बता दें कि दो साल पहले महंत विवेक दास चौदह साल बाद मगहर गये थे। मगहर और बनारस के कबीरमठ में पुराना विवाद है। उस वक्त भी उन्होंने संत कबीर नगर जिले के मगहर मठ में कबीर जयंती मनाने के विचार का विरोध किया था। यही नहीं मगहर मठ में मुरारी बापू के कार्यक्रम का भी महंत विवेक दास ने विरोध किया था।
गौरतलब है कि…
कबीर दास के 620वें प्राकट्य उत्सव के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी यूपी के संत कबीर नगर स्थित मगहर मठ पहुंचेंगे। इस दौरान उनकी रैली भी होगी। प्रदेश सरकार इस रैली को ऐतिहासिक बनाने में जुटी है। दरअसल, इस रैली के जरिए मिशन 2019 का पूर्वी यूपी में आगाज भी माना जा रहा है।
बताते चलें कि…
मगहर वही जगह है जहां अपने उम्र के आखिरी दौर में समय व्यतीत करते हुए कबीर दास जी को निर्वाण की प्राप्ति हुई थी। जबकि, बनारस के लहरतारा पोखरे के पास कबीर दास की प्राकट्य स्थली मानी जाती है। वहीं वाराणसी के कबीरचौरा स्थित मूलगाधी मठ से ही कबीरदास की अमृतवाणी पूरी दुनिया में फैली, ऐसी मान्यता है।
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