इलाहाबाद : सरकारी प्राथमिक शिक्षा की बदहाली का रोना रोने वालों के लिए यह खबर ढांढस बंधाने वाली है। जिले में कोरांव विकास खंड के सिरोखर गाव में मड़हे में संचालित स्कूल गांव वालों के साथ-साथ शिक्षकों और यहां पढ़ने वाले जज्बे की मिसाल बन गया है। सोमवार को स्कूल की छुंट्टी होने के बाद विद्यालय की जर्जर छत अनायास ढह गई थी। मौजूदा व्यवस्था जिस तरह रेंगती है, उसमें ऐसा नहीं लगा कि अगले दो चार दिनों तक कक्षाएं चल पाएंगी, लेकिन मंगलवार को यहां जो कुछ दिखा उसने धारणा बदल दी। बच्चे पढ़ते मिले और मास्टर पढ़ाते। यह बात अलग थी कि कक्षा की बजाय छात्र व शिक्षक मड़हे के नीचे थे। मंगलवार को भी मड़हा बनाया गया ताकि मानसून की मेहरबानी से देश के भावी कर्णधार अछूते रहें। गांव वालों को पीड़ा सिर्फ इतनी ही है कि छत ढहने की घटना के 48 घंटे बाद भी कोई जिम्मेदार अधिकारी मौका मुआयना के लिए नहीं पहुंचा था।
जिला मुख्यालय से करीब 40 किमी दूर है कोरांव ब्लाक व तहसील का सिरोखर गाव। यहां संचालित प्राथमिक विद्यालय का भवन अर्से से जर्जर था। इस बात की जानकारी शिक्षकों एवं ग्रामीणों ने खंड शिक्षाधिकारी को कई बार दी लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। सोमवार जब भारी बारिश होने लगी और यह कुछ थमी तो शिक्षकों ने स्कूल की छुट्टी कर दी। बच्चों को घर भेज दिया। स्कूल बंद होने के थोड़ी देर बाद ही करीब 11 बजे स्कूल भवन भरभरा कर ढह गया। संयोगवश कोई बच्चा इसकी चपेट में नहीं आया। यदि उस समय स्कूल में बच्चे होते तो कुछ भी हो सकता था। ग्रामीणों ने तत्काल इस बात की जानकारी विभागीय अधिकारियों को दी लेकिन मौके पर कोई नहीं पहुंचा। प्रधानाचार्य विनोद कुमार के सामने चिंता थी कि आने वाले दिनों में कैसे पढ़ाई होगी। ग्रामीण भी इसी चिंता में थे। बातचीत में तय हुआ कि जब तक स्कूल का नया भवन नहीं बनता, मड़हे में ही कक्षाएं चलाई जाएं। बस ग्रामीण जुट गए। आनन-फानन रात तक मड़हा तैयार कर लिया गया। अगली सुबह बच्चे यूनीफार्म में पहुंचे और हंसी खुशी पढ़ाई होने लगी, रोज की तरह। बुधवार दोपहर तक कोई भी अफसर मौके पर नहीं पहुंचा था। क्षेत्र में इस प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों व ग्रामीणों के जज्बे की सराहना की जा रही है। बारिश में बच्चे आगे भी नहीं भीगे और पढ़ाई सुचारू तरीके से होती रहे, इसके लिए मंगलवार रात तक दो और मड़हे तैयार कर लिए गए।
2005 में बना था स्कूल
सिरोखर प्राथमिक विद्यालय का निर्माण 2005 में कराया गया था। चार कमरे इस विद्यालय में हैं। पंजीकृत छात्रों की कुल संख्या 214 हैं। दो शिक्षक व दो शिक्षामित्र नौनिहालों का भविष्य संवारने के लिए नियुक्त हैं। विद्यालय भवन जिस तरह महज 14 सालों में जर्जर हुआ है, वह ठेकेदार व कार्यदायी संस्था की पोल खोलता है। जिले के ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में ज्यादातर विद्यालय भवन बदहाल ही हैं। सिरोखर में अध्यापक आम तौर पर बाहर खुले आसमान तले ही कक्षाएं लगवाते थे। यहां के शिक्षकों ने खंड शिक्षा अधिकारी व संबंधित अधिकारियों से पत्राचार के माध्यम से यहां की स्थिति से अवगत कराया था। खंड शिक्षा अधिकारी ने गत 13 फरवरी को पत्र लिख कर विद्यालय भवन में बच्चों को न बैठाने की नसीहत दी थी।
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