जमाल आल्म / वकील अहमद अंसारी :
बैरिया/बलिया हमारे देश की ग्रमीण जनसंख्या का प्रतिशत निरन्तर घट रहा है, जिसके पीछे मुख्य कारण गांवों से शहरों की ओर पलायन है । ये पलायन का सिलसिला कोई नया मसला नही है ये आजादी के तुरंत बाद ही शुरू हो गया था गॉवो के युवाओं को रोजी रोटी के तलाश में शहर दर शहर भटकाना पर रहा है|गांवो से शहरों की ओर हो रहे पलायन को रोकने के लिए सरकारो की तरफ से कोई गभीर कोशिश नही की गई|आज 70 वर्ष के आजादी के बाद भी गांव के लोग को गांव में ही रोजगार का कोई अवसर नही है|
शहर जैसी शिक्षा और स्वास्थ सुविधा नही है। स्वत्रंत भारत की पहली जनगणना 1951 के अनुसार ग्रमीण आबादी 83 प्रतिशत थी वही शहरी आबादी केवल 17 प्रतिशत थी। इसके 50 वर्ष के बाद 2001 की जनगणना में शहरी जनसंख्या बढ़ कर 26 प्रतिशत हो गई वही ग्रमीण जनसंख्या घट कर 74 प्रतिशत रही। इसके 10 वर्ष के बाद 2011की जनगणना में शहरी आबादी बढ़ कर 31.16 प्रतिशत हो गई और ग्रमीण आबादी घट कर 68.84 प्रतिशत हो गई। ग्रमीण युवा रोजगार के साथ साथ, नगरीय चका चौन्द, बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधा के लिए लागातार महानगरों में विस्तापित हो रहे है । सरकार को इस पलायन मसले पर तुरन्त विचार करना चाहिए और ऐसी नीति बनानी चाहिये कि उद्योगों का विकेन्द्रीकरण हो सके ताकि ग्रामीण क्षेत्रो में लोगो कृषि के साथ साथ अन्य रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सके और लोग अपने गांव में रह सके।
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