बलिया। जनसूचना अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत विभागों द्वारा दी जाने वाली सूचना के लिए अधिकारी गम्भीर रहें। सूचना देने में देरी पर आयोग की ओर से दण्डित होने का इंतजार न करें।
ये बातें राज्य सूचना आयुक्त ने कलेक्ट्रेट सभागार में मंगलवार को आयोजित जनसूचना अधिकारियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम में कही। उन्होंने आरटीआई के जरूरी नियम कानूनों की जानकारी देते हुए पूरी गम्भीरता से कार्यवाही करने का निर्देश दिया। वहीं सूचना नहीं देने पर मिलने वाले दण्ड के बारे में भी विधिवत जानकारी दी। इससे पहले प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारम्भ राज्य सूचना आयुक्त पारसनाथ गुप्ता ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। उन्होंने अधिनियम के तहत सूचना देने में सीएमओ, डीआईओएस व विकास विभाग की लापरवाही का उदाहरण देते हुए चेताया कि ऐसा न करें कि आयोग को कार्रवाई को विवश होना पड़े। इन विभागों की स्थिति बेहद खराब है। आरटीआई के तहत मांगी गयी सूचना को ससमय दें। अगर मांगी गयी सूचना आपके विभाग से सम्बन्धित नहीं है तो अधिकतम पांच दिन के अंदर उसे अंतरित कर दें। इसके अलावा अगर कोई ऐसा साक्ष्य देना है जिसमें अधिक पेज लगने की सम्भावना है तो दो रूपये प्रति पेज के हिसाब से महीने भर के अंदर मांग कर दें। इससे ज्यादा होने की दशा में वह सूचना स्वयं के खर्च से आवेदक को नि:शुल्क देनी होगी।
उन्होंने दोहराया कि कई सुनवाई में जनसूचना अधिकारियों की लापरवाही साफ देखने को मिलती है। प्रथम अपीलीय अधिकारी भी उसमें खास रूचि नहीं लेते है। प्रथम अपीलीय अधिकारी को चाहिए कि दोनों पक्षों को बुलवाकर संतोषजनक सूचना दिलवाएं। इसके बाद ट्रेनर राहुल सिंह ने करीब दो घण्टे तक अधिनियम की एक-एक धारा की विस्तृत जानकारी दी। पुलिस अधीक्षक श्रीपर्णा गांगुली, सीडीओ बद्रीनाथ सिंह, एडीएम मनोज सिंघल, एसडीएम गम्भीर सिंह समेत समस्य जन सूचना अधिकारी मौजूद थे।
दो मौका देने के बाद होती है पेनाल्टी
राज्य सूचना आयुक्त पारसनाथ गुप्ता ने सभी जन सूचना अधिकारियों को बताया कि कोई सूचना नहीं देने या संतोषजनक सूचना नहीं देने पर पहली बार नोटिस भेजी जाती है। नहीं आने पर दूसरी बार कारण बताओ नोटिस होती है। फिर पेनाल्टी की कार्रवाई होती है। पेनाल्टी के साथ अनुशासनात्मक कार्रवाई की संस्तुति हो जाती है। पेनाल्टी के बारे में बताया कि ढ़ाई सौ रूपये प्रतिदिन के हिसाब से या अधिकतम 25 हजार तक पेनाल्टी लग सकती हैं।
बना लें आरटीआई रजिस्टर
राज्य सूचना आयुक्त ने कहा कि सभी अधिकारी जन सूचना अधिकार के तहत मांगी जाने वाली सूचना से सम्बन्धित एक रजिस्टर बना लें। उसमें सूचना आने से लेकर निस्तारित किये जाने तक कॉलम बनाकर उसमें हर जानकारी अपडेट करते रहें। इससे फायदा होगा कि आयोग से जब किसी आवेदन के बारे में पूछा जाएगा तो आसानी से बता सकेंगे। अंत में उन्होंने सुधार की उम्मीदों के साथ प्रशिक्षण की शुरूआत की।
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