दीपक बाजपेई
- हमारी खबर का उद्देश्य यह कदापि नहीं है कि हम बैंक पर आम जन के विश्वास को ठेस पहुचाये, बल्कि हम पीडितो द्वारा लगे आरोपों और चर्चाओ के आधार पर खबर संकलित और प्रकाशित कर रहे है. हमारा उद्देश केवल यह है कि लगे आरोपों की गंभीर जाच हो और दौरान जाँच आरोपी अधिकारियो को उनके कार्य से दूर रखा जाये ताकि किसी तरह से वह जाँच को प्रभावित न कर सके. जाँच निष्पक्ष होनी चाहिये और दोषी पाये जाने पर दोषियों के ऊपर कड़ी कार्यवाही होना चाहिये
महोबा. इलाहाबाद यूपी ग्रामीण बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय व कई शाखाओं में भ्रष्टाचारियों का बोल बाला है अंधेर तो यह है कि कई बार शिकायत होने के बाद आज तक इन भृष्टाचारियों पर कोई कार्यवाही नहीं की गई , बल्कि हर बार सिर्फ जाँच के नाम पर मामले को रफा दफा कर दिया गया |
शायद यही वजह है कि अब तक कागजों में की जाने वाली शिकायतें सार्वजनिक होकर मीडिया की सुर्खियां बन रहीं हैं |
आपको बता दें कि क्षेत्रीय कार्यालय में संपत्ति मैनेजर के पद पर तैनात राजेन्द्र शर्मा पर बजरिया शाखा प्रबंधक रहने के दौरान मल्टी फाइनेंस , नियम विरुद्ध ऋण वितरण व ऋणमाफी में भ्रष्टाचार के साथ ही धोखाधड़ी और धांधली कर आम जनता व बैंक को जमकर चूना लगाया , और पचपहरा निवासी एक किसान ब्रजभूषण का दो केसीसी का एक मामला उजागर होते ही हड़कम्प मच गया |
पीड़ित किसान की पत्नी ने तत्कालीन शाखा प्रबंधक राजेन्द्र शर्मा पर आरोप लगाया था जिसकी जाँच भी की गई लेकिन उक्त शाखा प्रबंधक की पहुँच ने मामला दबा दिया. पीडितो द्वारा यहाँ तक कहा जाता है कि शाखा प्रबंधक के नोटों की कडकडाहट ने मलमे की आवाज़ को ही दबा दिया गया था. जब मीडिया में खबर का खुलासा हुआ तो एक बार फिर से बैंक के उच्चाधिकारियों ने मामले की जाँच के लिए टीम भेजी, लेकिन पीड़ित किसान की पत्नी ने जाँच के लिए आये निरीक्षक रस्तोगी पर प्रलोभन देने और धमकी देने का गम्भीर आरोप लगाया. वहीं चर्चाओ को आधार माने तो चर्चा आम जन में यहाँ तक है कि आरएम तो मात्र कठपुतली बने हैं असल खेल तो कोई और ही खेल रहा है, क्योंकि राजेन्द्र शर्मा के अलावा क्षेत्रीय कार्यालय में तैनात ऋण मैनेजर सुरेश शर्मा (पूर्व में ननौरा बैंक लूट का आरोपी साजिशकर्ता) को भी ज्यादातर मामलों को निपटाने में महारत हासिल है साथ ही सुरेश शर्मा ने अपने साले के लड़के शीलू के हाथ के आरएम की गाड़ी की स्टेयरिंग भी थमा दी.
वहीं सूत्रों की मानें तो आरएम का ड्राइवर शीलू काली कमाई के लेन देन में महारत रखता है, इसके अलावा आये दिन साहब की खजुराहो व छतरपुर की सैर भी कहीं न कहीं संदिग्ध दिख रही है. भ्रष्टाचार के समंदर में इन घड़ियालों के अलावा कई छोटी बड़ी मछलियां भी हैं लगता है शायद पिक्चर अभी बाकी है …….
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