वाराणसी. आतंक और खौफ का एक पर्याय ही था मुन्ना बजरंगी, मगर कहा गया है मौत किसी से खौफ नहीं खाती है और एक बार फिर यह सिद्ध हुआ और खौफ का पर्याय बना माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी से भी मौत खौफ नहीं खाई और आज मोक्ष के नगरी काशी में मुन्ना बजरंगी पञ्च तत्व में विलीन हो गया,
20 सालो में आतंक में मुन्ना बजरंगी के नाम 40 हत्या के मामले थे, बताते चले की बागपत जेल में सुनील राठी नामक एक अन्य अपराधी ने उसकी गोली मार कर कल हत्या कर दिया था. इसके पहले मुन्ना बजरंगी की मुठभेड़ दिल्ली में एसटीऍफ़ से हुई थी जहा उसको 11 गोलिया लगी थी. मगर वह इलाज में बच गया था. इसके बाद अस्पताल में इलाज के दौरान वह फरार हो गया था. उसके बाद दिल्ली पुलिस ने उसको मुम्बई से गिरफ्तार किया था तभी से वह प्रदेश की कई जेलों में रहा था.. कल सुबह बागपत जेल में एक अन्य माफिया डॉन सुनील राठी ने मुन्ना बजरंगी की गोली मार कर हत्या कर दिया था. मुन्ना बजरंगी को कुल 10 गोलिया लगी थी.
इस हत्या ने जेल की सुरक्षा पर कई सवालिया निशान लगा दिए है. जिसमे सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर जेल के अन्दर असलहा पहुचा कैसे ? अगर हत्यारोपी की माने कि उसने मुन्ना की पिस्टल छीन कर उसको गोली मारी तो फिर आखिर मुन्ना बजरंगी के पास पिस्टल कहा से आई. दूसरा सबसे बड़ा सवाल है कि दस गोलिया मारने में उसको कुछ तो वक्त लगा होगा, एक पिस्टल से पूरी गोलिया ख़त्म होने के बाद दुबारा शायद लोड भी करना पड़ा होगा, इतने समय तक जेल के सुरक्षाकर्मी भला कहा थे, इसी सन्दर्भ में एक और प्रश्न उठता है कि जेल में हत्या के बाद हत्यारोपी ने बताया कि उसने असलहा (आला क़त्ल) गटर में फेक दिया था. तो सवाल यह पैदा होता है कि सीवर इस तरह कैसे जेल के अन्दर है कि उसमे कोई भी सामन फेका जा सकता है,
खैर मुद्दा तो जाँच का विषय है और इस हत्या पर प्रदेश सरकार ने जेलर सहित कई जेल कर्मियों को सस्पेंड कर दिया है. जाँच का आदेश हो चूका है और आज डॉन पञ्चतत्व में विलीन हो गया. पूर्वांचल में आतंक के दौर के बाद उस आतंक का खात्मा हो गया. आज अंतिम संस्कार में मुन्ना के पार्थिव शरीर को एक सजी सवारी गाडी से लेकर वाराणसी लाया गया. जहा काफी सुरक्षा व्यवस्था के साथ उसकी शव यात्रा शमशान घाट पहुची. इस दौरान पुलिस के सुरक्षा व्यवस्था के साथ डान के परिजनों और रिश्तेदारों की कई गाड़िया जौनपुर जनपद से वाराणसी आई.घाट पर चिता को विशेष रेलिंग लकड़ी की बना कर तैयार किया गया था. लोगो का हुजूम साथ में था और डॉन मुन्ना बजरंगी को पंचतत्व में विलीन कर दिया गया,
40 हत्याओ के आरोपी की शव यात्रा देख कर कोई कह नहीं सकता था कि यह एक डॉन की शव यात्रा है. इस भीड़ को देख कर दिमाग खुद खौल रहा है कि हमारा समाज आखिर किस दिशा में जा रहा है. आखिर हम किस कल्चर को बढ़ावा दे रहे है.
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