जीतेन्द्र द्विवेदी
हम्रीरपुर. वार्ड में एकाएक आक्सीजन की कमी हो गयी और वेंटिलेटर न होने की वजह से उन्होंने रिफर होकर आये जच्चा और बच्चा को एडमिट करने से मना कर दिया .जिसके चलते कई घंटो तक जच्चा और बच्चा अस्पताल की फर्श में पड़े तडपते रहे. लेकीन मीडिया की दखल के बाद मौके में जिला प्रशासन के अधिकारियो की पहल के बाद दोनों को भर्ती कर इलाज शुरू किया गया लेकीन आखिर में बच्चे की मौत हो गयी. इस खबर के बाद जिला प्रशासन ने जिला अस्पताल के सीएमएस सहित डियूटी में तैनात डाक्टरों के खिलाफ नोटिस जारी करते हुए पुरे मामले की जाँच सदर एसडीएम् से शुरू करवा दी है।
हमीरपुर सदर अस्पताल जहाँ गंभीर रूप से बीमार नवजात बच्चो को भर्ती कर उनका इलाज किया जाता है लेकीन यहाँ के स्टाफ की लापरवाही के चलते एक नवजात की मौत हो गयी क्योकि यहाँ बीते दिन आक्सीजन की एकाकक कमी हो गयी थी और वेंटिलेटर न होने से बच्चे को भर्ती नही किया गया लेकीन आखिर बाद में जिला प्रशासन की पहल के बाद जब भर्ती करवाया गया तो काफी देर हो चुकी थी और नवजात बच्चे ने दम तोड़ दिया।
महोबा जिले के ग्योड़ी गांव निवासी जीतू की पत्नी प्रीती को रविवार प्रसव पीड़ा हुई। वह मौदहा सीएचसी में प्रसव कराने के लिए भर्ती हुई जहां दोपहर ढाई बजे उसने एक बच्ची को जन्म दिया। बच्ची के पेट में गंदा पानी चला जाने से चिकित्सकों ने उसे सदर अस्पताल रेफर कर दिया। सीएचसी मौदहा से प्रीती को परिजन एंबुलेस से सदर अस्पताल लाए। जहां एसएनसीयू वार्ड फुल होने व आक्सीजन न होने की बात कह स्टाफ नर्स ने नवजात को भर्ती कराने से मना कर दिया। परिजन डाक्टरों के चक्कर काटते रहे, लेकिन अस्पताल में कोई जिम्मेदार नहीं मिला। जानकारी करने पर पता चला की सीएमएस और अस्पताल में तैनात बाल रोग विशेषज्ञ मुख्यालय से बाहर हैं। चार घंटे तक जच्चा बच्चा दोनों फर्श में लेटे इलाज को तरसते रहे और आखिर जब जिला प्रशासन ने भर्ती करवाया तो नवजात ने दम तोड़ दिया। अब इस मामले की जब इस खबर को प्रमुखता से दिखाई तो जिला प्रशासन ने जाँच शुरू कर दी और कहा की वार्ड में ऑक्सीजन की कमी नही है. केवल वेंटिलेटर की कमी के चलते जच्चा बच्चा को भर्ती न किये जाने की बात स्वीकार करते हुए जिला अस्पताल में लापरवाही के चलते सीएमएस ,डाक्टरों सहित डियूटी में तैनात नर्स को नोटिस देखर कार्यवाही के लिए शासन को लिखा है।
जरा सी चूक और लापरवाही के चलते गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज में 30 बच्चो की जान एक झटके में चली गयी थी ,जिसके बाद योगी सरकार के शख्त रवैये के बाद स्वास्थ विभाग ने आनन फानन में सूबे के अस्पतालों में मौजूद खामियों को दूर करने की हर सम्भव कोशिश की थी .लेकीन समय बीतते ही अस्पताल अपने पुराने ढर्रे पर वापस लौट आये .ऐसे में सवाल यह उठता है की अस्पताल प्रशासन पहले से ही ऐसी निगरानी क्यो नही करते है जिससे किसी अनहोनी को होने से पहले ही रोका जा सके !क्या उन्हें नीद से जागने के लिए किसी बड़े हादसे का हमेशा इन्तजार रहता है ,आज इसी के चलते एक नवजात को अपनी जिंदगी गवानी पड़ी ,आखिर इस नवजात की मौत का कौन जिम्मेदार है और उनको क्या सजा मिलेगी यह देखने वाली बात होगी ?
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