अरब देश स्ट्रेट आफ हुरमुज़ के महत्व को कम करने और ईरान की ओर से उसे बंद करने की धमकी के प्रभावहीन बनाने के लिए कई दिशाओं में प्रयास कर रहे हैं।
हालिया दिनों में ट्रम्प सरकार की ओर से ईरान के तेल निर्यात को शून्य तक पहुंचाने की धमकी के बाद ईरान के राष्ट्रपति ने सांकेतिक रूप धमकी दी थी कि यदि ईरान का तेल निर्यात नहीं होगा तो किसी का तेल भी निर्यात नहीं होगा। इसे सीधे सीधे हुरमुज़ जलडमरू मध्य बंद करने की धमकी समझा गया। ईरान पहले भी साफ साफ यह कह चुका है कि खतरा होने पर वह स्ट्रेट आफ हुरमुज़ बंद कर देगा और यह काम उसके लिए एक ग्लास पानी पीने जितना आसान है।
सन 2006 में अमरीका व ईरान के मध्य तनाव बढ़ने के साथ ही जब सैनिक टकराव की आशंका पैदा हो गयी तो उसके साथ ही स्ट्रेट आफ हुरमुज़
बंद होने का भी खतरा बढ़ गया जिससे पूरी दुनिया और खास तौर पर तेल निर्यात करने वाले अरब देशों में हडकंप मच गया क्योंकि दुनिया का चालीस प्रतिशत तेल इसी रास्ते से जाता है और बहुत से अरब देशों का 100 प्रतिशत तेल इसी राह से दुनिया तक पहुंचता है इसी लिए कुछ अरब देशों ने अपने तेल के निर्यात के लिए वैकल्पिक मार्ग खोजने का अभियान तेज़ी के साथ आरंभ कर दिया, कई रास्तों पर विचार किया गया जिनमें से एक यूएई के अलफुजैरा बंदरगाह से ओमान सागर तक पाइप लाइन बिछाना है ताकि ईरान की ओर से स्ट्रेट आफ हुरमुज़ बंद किये जाने की दशा में, तेल के संकट से बचा जा सके।
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