आदिल अहमद
वाइट हाउस की प्रवक्ता सारा सेन्डर्ज़ ईरान विरोधी बयान से पीछे हट गयीं और ट्रम्प की धमकी का औचित्य दर्शाते हुए कहा कि ट्रम्प दोनों देशों के मध्य तनाव में वृद्धि के इच्छुक नहीं हैं।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने शासन काल में ईरान के खिलाफ कार्यवाहियों को कड़ा से कड़ा कर दिया है। ट्रम्प की इन कार्यवाहियों का लक्ष्य वाशिंग्टन की नीतियों का अनुसरण करने के लिए तेहरान को बाध्य कर देना है।
अमेरिका चाहता है कि ईरान परमाणु कार्यक्रम को पूरी तरह बंद कर दे, मिसाइल कार्यक्रम को सीमित कर दे और क्षेत्र में अपनी नीतियों व कार्यवाहियों को बंद कर दे। अमेरिकी कार्यवाहियों के मुकाबले में ईरान की जो प्रतिक्रियायें रही हैं वह बहुत तार्किक और साहसीपूर्ण रही हैं।
राष्ट्रपति डॉक्टर हसन रूहानी की उस प्रतिक्रिया को इसी परिप्रेक्ष्य में देखा जा सकता है जिसमें उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति को चेतावनी देते कहा था कि श्रीमान ट्रम्म! शेर की पूछ के खिलवाड़ न करें क्योंकि ईरान का जो जवाब होगा वह पछताने पर विवश करने वाला होगा।
इसके बाद अमेरिका के राष्ट्रपति ने ईरानी राष्ट्रपति को चेतावनी देते हुए ट्वीट करके लिखा था कि कभी भी और दोबारा अमेरिका को धमकी नहीं देना। इसके बाद ट्रम्प की इस धमकी को गम्भीरता से लेने से कहीं अधिक स्वयं अमेरिकी डेमोक्रेटों ने उनकी धमकी का मज़ाक उड़ाया।
यह विषय इस बात का कारण बना कि वाइट हाउस की प्रवक्ता सारा सेन्डर्ज़ ईरान विरोधी बयान से पीछे हट गयीं और ट्रम्प की धमकी का औचित्य दर्शाते हुए कहा कि ट्रम्प दोनों देशों के मध्य तनाव में वृद्धि के इच्छुक नहीं हैं।
अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प शायद यह बात भूल गये हैं कि गत 40 वर्षों से ईरान इस प्रकार की धमकियों को सुनता रहा है और कभी भी वह इस प्रकार की धमकियों से प्रभावित होकर पीछे नहीं हटा है।
विदेशमंत्री मोहम्मद जवाद ज़रीफ़ के उस बयान को इसी परिप्रेक्ष्य में देखा जा सकता है जिसमें उन्होंने कहा है कि ईरानी ट्रम्प की धमकी को कोई महत्व नहीं देते क्योंकि वे इस तरह की धमकी गत 40 वर्षों से सुनते आ रहे हैं।
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