अनिल कुमार
बिहार के राजधानी पटना में पटना पुलिस द्वारा झूठे केसों में निर्दोषों को फंसाने का सिलसिला जारी है। कुछ दिनों पहले एक ऐसे ही फर्जी केस में नाबालिग सब्जी विक्रेता पंकज को पटना पुलिस ने बाइक लूट के फर्जी केस में फंसा कर जेल भेज दिया था। जबकि सच्चाई यह थी कि नाबालिग सब्जी विक्रेता पंकज ने पुलिस द्वारा रंगदारी में सब्जी मांगने पर पुलिस का विरोध किया था। जिसकी सजा में उसे जेल जाना पड़ा।
अभी इस केस में कारवाई हुए कुछ ही दिन हुए थे कि पटना पुलिस द्वारा एक दिव्यांग दंपति को उसके अपने ही घर से बेघर कर असमाजिक तत्वों से पैसा लेकर फर्जी मुकदमे में फंसाकर जेल भेज दिया गया । यह मामला बहादुरपुर थाना क्षेत्र का है, जहां दिव्यांग अजय खत्री अपने पत्नी अर्चना संग रहते थे। जिस पर एक जाति विशेष समूह के कुछ लोगों का इनके आशियाना पर पैनी नजर था। इन गुंडों ने बहादुरपुर थाना प्रभारी को रिश्वत देकर दिव्यांग अजय खत्री और उनकी पत्नी अर्चना को जोर-जबरदस्ती से मकान से बाहर कर मकान पर कब्जा कर लिया और उल्टे थाना प्रभारी द्वारा झूठे केसों में फंसाकर अजय खत्री और उनकी पत्नी अर्चना को फर्जी मुकदमे में जेल भेज दिया था। जब काफी कानूनी संघर्ष के बाद अजय खत्री और उनकी पत्नी अर्चना जेल से से रिहा हुए तो सिटी एसपी और एसएसपी, पटना के कार्यालय का चक्कर लगाना शुरू किया, लेकिन इन लोगों के कानों पर जूं भी नहीं रेंगी।
अंत में कुछ पत्रकारों के सहयोग से अजय खत्री ने जोनल आईजी एनएच खान से भेंट कर अपने समस्याओं से उन्हें अवगत कराया और जोनल आईजी ने करीब एक घंटे तक अजय खत्री के सभी कागजात को देखकर फौरन सिटी एसपी और डीएसपी ( सिटी) को जांच कर तीन दिनों के अंदर रिपोर्ट देने के लिए कहा। लेकिन इन अधिकारियों ने अपने रिपोर्ट में भ्रष्ट थाना प्रभारी को बचाने की भरपूर कोशिश की। रिपोर्ट से नाखुश जोनल आईजी ने अपने कार्यालय में पदस्थापित डीएसपी को जांच का जिम्मा दिया और डीएसपी ने अपने रिपोर्ट में बहादुरपुर थाना प्रभारी और एक दारोगा को दोषी करार दिया।1994 बैच के इंस्पेक्टर के.के.गुप्ता जब से बहादुरपुर थाना क्षेत्र के प्रभारी बनें,तब से थाना में पैसों के दम पर फर्जी मुकदमे, जमीन मकान कब्जा और बाजार समिति मंडी में फल लेकर बाहर से आए वाहनों से अवैध वसूली करना इनका नियति बन चुका था।
दिव्यांग अजय खत्री के ऊपर लगाए गए फर्जी मुकदमे में आज डीआईजी राजेश कुमार ने बहादुरपुर थाना प्रभारी के.के.गुप्ता और इस केस के अनुसंधानकर्ता दारोगा सुधांशु शेखर को निलंबित कर दिया तथा इन लोगों पर विभागीय कार्रवाई करने का आदेश भी दिया है। इसी फर्जी मुकदमे में तत्कालीन एएसपी हरिमोहन शुक्ला से भी स्पष्टीकरण मांगा गया है। विदीत है कि नाबालिग सब्जी विक्रेता पंकज को भी फर्जी मुकदमे में जेल भेजने के मामले में तत्कालीन एएसपी हरिमोहन शुक्ला की लापरवाही भी उजागर हुई थी,उस केस में भी श्री शुक्ला पर कार्रवाई करने की अनुशंसा जोनल आईजी एनएच खान ने विभाग को दी है। पटना पुलिस द्वारा आए दिन ऐसे वारदात करने के कारण इसकी विश्वसनीयता पर प्रश्न चिह्न लगता नजर आ रहा है।
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