नूरपुर बैंक देश की अर्थव्यवस्था का महत्पूर्ण अंग होने के साथ ही सरकार और आमजन के बीच की महत्वपूर्ण कड़ी हैं , और सरकार द्वारा चलाई गईं जनकल्याणकारी योजनाओं व सरकार द्वारा गरीबों व किसानों को दी जा रही मदद अंतिम व्यक्ति तक पहुँचाने का जिम्मा बैंकों पर होता है |
देश के प्रधानमंत्री मोदी भी जनधन योजना, कैशलेस और डिजिटल इंडिया जैसी महत्वाकांक्षी योजनाओं को चलाकर आमजन को बैंकों से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं , लेकिन जब बैंक कर्मी ही भ्रष्टाचार व धांधली में लिप्त हों तो प्राकृतिक आपदाओं की मार से बदहाल अन्नदाता उम्मीद भी करे तो किससे ! जी हाँ हम बात कर रहे हैं इलाहाबाद यूपी ग्रामीण बैंक की जहाँ क्षेत्रीय कार्यालय सहित जिले की कई शाखाओं में आये दिन भ्रष्टाचार और धांधली के मामले सामने आ रहे हैं| ऐसा ही एक मामला क्षेत्रीय कार्यालय में उजागर हुआ है , जहाँ बैंक नियमों को ताक पर रख दो-दो सीए नियुक्त कर दिए गए|
आपको बता दें कि आरएम को सी.ए. की नियुक्ति का अधिकार नहीं होता और यदि कभी इमरजेंसी नियुक्ति करनी भी हो तो हेड ऑफिस की अनुमति से ही नियुक्ति की जा सकती है , लेकिन क्षेत्रीय कार्यालय में आरएम के चहेतों ने फर्जी तरीके से दो सीए नियुक्त कर लिए और लेटर भी जारी कर दिया | दिलचस्प बात तो यह है कि फंसने के डर से आरएम ने उस लेटर पर हस्ताक्षर ही नहीं किये | बिना हस्ताक्षर का नियुक्ति पत्र क्षेत्रीय कार्यालय के भ्रष्टाचार और धांधली का जीता जागता उदाहरण है |
वहीं क्षेत्रीय कार्यालय में संपत्ति मैनेजर के पद पर तैनात राजेन्द्र शर्मा द्वारा वर्ष 2008-09 में बजरिया शाखा प्रबंधक रहते हुए किये गए घोटालों की खबर को संज्ञान में लेते हुए बैंक के उच्चाधिकारियों द्वारा जाँच टीम भी भेजी गई |
लेकिन जाँच के लिए आये निरीक्षक की कार्यप्रणाली उस समय सवालों के घेरे में आ गई जब उन्होंने पूछताछ के दौरान किसान पर ही दबाव बनाने का प्रयास किया |
प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2008-09 में तात्कालिक बजरिया शाखा प्रबंधक द्वारा पचपहरा निवासी ब्रजभूषण राजपूत के दो केसीसी बना दिए थे जबकि दूसरे केसीसी बनने की किसान को भनक भी नही लगी , उसके दूसरे केसीसी का पैसा राजेन्द्र शर्मा ने हड़प कर लिया था उक्त किसान की पत्नी ने राजेन्द्र शर्मा के खिलाफ 156/3 के तहत सीजेएम कोर्ट में धोखाधड़ी का मामला भी दर्ज कराया था |
राजेन्द्र शर्मा के द्वारा शाखा बजरिया प्रबंधक रहते हुए और वर्तमान में क्षेत्रीय कार्यालय में संपत्ति मैनेजर के तौर पर किये गए घोटालों व धांधली की खबर को संज्ञान में लेते हुए बैंक प्रबंधन ने जाँच टीम भेजी थी लेकिन पीड़ित किसान ने जाँच के लिए आये निरीक्षक रस्तोगी द्वारा उन पर दोनों केसीसी स्वयं बनवाने बात कबूलने का दबाव बनाने आरोप लगाया , वहीं सूत्रों की मानें तो जाँच दौरान निरीक्षक पीड़ित किसान को इशारों-इशारों में प्रलोभन देने और दबी जुबान में धमकी देने से भी नहीं चूके |
अब सवाल यह उठता है कि जब बैंक के उच्चाधिकारियों द्वारा जाँच के लिए भेजे गए जाँच अधिकारी पर ही सवाल उठने लगे तो फिर न्याय की उम्मीद किससे की जाए.
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