अनुपम राज.
वाराणसी. लोकतंत्र और भीड़ तंत्र के बारे में सुना काफी है मगर उसके बीच का फर्क नहीं पता कर पा रहा था. आज दोनों के बीच का फर्क पता चल गया और लोकतंत्र पर भीड़ तंत्र या फिर शायद दबंगई तंत्र ने जीत हासिल कर डाली. लोकतंत्र का घायल हुआ चौथा स्तम्भ खुद पर हुवे जानलेवा हमले को बयान करता रह गया और भीड़ तंत्र इकठ्ठा किये सपा के दबंगों ने आरोपी को थाने से ही छुड़ा लिया. ये शायद भीड़ तंत्र का ही हिस्सा होगा वरना घायल पत्रकार राजू दुआ के साथ इन्साफ ज़रूर होता और आरोपी थाने से नहीं छुटता.
प्राप्त समाचारों के अनुसार जनपद से प्रकाशित व प्रसारित होने वाले एक सांध्य हिंदी दैनिक के पत्रकार राजू दुआ अपने किसी निजी कार्य से चेतगंज थाना क्षेत्र में पड़ने वाले रामकटोरा इलाके से अपने मित्र बंटी नामक युवक के साथ कही जा रहे थे कि रास्ते मे कुछ लोगो के द्वारा मजदूरों को मारा पीटा जा रहा था। जिस पर समाचार संकलन के नीयत से उक्त पत्रकार अपनी गाड़ी को रोक दिया। बस फिर क्या था सपा का टैग लगा था तो गुंडई की शायद खुली छुट मिली होगी. बस हमलावरों के द्वारा उक्त पत्रकार को अकारण ही जान से मारने की नीयत से हमला बोल दिया गया और उसका मोबाइल, चश्मा इत्यादि को मार कर तोड़ दिया गया। इतना ही नही लबे सड़क उक्त पत्रकार को दौड़ा दौड़ाकर जमकर मारा पीटा गया। घटना की जानकारी भुक्तभोगी के द्वारा तत्काल चौकी प्रभारी नाटी इमली विश्वनाथ प्रताप सिंह को दी गई। जिस पर तत्काल चौकी प्रभारी घटना स्थल पर पहुंचे और मौके से एक व्यक्ति बच्चा पटेल को पकड़कर थाने ले आये।
इधर आरोपी नशे में धुत बच्चा पटेल की गिरफ्तारी की बात फैलते ही सपा के नेता कई नेता व सैकड़ो की संख्या में कार्यकर्ता थाने पर जुट गए और आरोपी को छोड़ने का नाजायज दबाव बनाने लगे। वही एक सपा नेता ने तो सभी सीमाए तोड़ डाली और थाने पर मौजूद चौकी प्रभारी से बद्तमीजी भी किया. ये भी सही है कि चौकी प्रभारी अपने कर्तव्यों से नहीं चुकते हुवे साफ़ साफ़ फटकार दिया उसको मगर हिम्मत तो देखे साहब की आरोपी को छुडाने आये है और मान मनव्वल के जगह सीधे चौकी प्रभारी से अभद्रता करना और दुबारा सरकार आने की कथित धमकी तक दे डालना वाकई हिम्मत का काम है. शायद 2017 में प्रदेश में सपा की दुर्दशा का ये एक बड़ा कारण रहा होगा. खैर साहब दबाव की यह स्थिति थी कि बार बार एक पूर्व राज्यमंत्री के नाम की सीधे सीधे धमकी दी जा रही थी.
फिर क्या था ? थोड़ी ही देर में घायल हो चुका लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ थाने पर खड़ा ही था कि सपाईयो ने मौके पर भीड़ तंत्र इकठ्ठा कर रखा था. सभ्य और हसमुख स्वभाव के राजू दुआ को लगी चोट जो जानलेवा हो सकती है और उस पत्रकार के ऊपर हुवे जानलेवा हमले को दरकिनार करते हुवे सपा के कार्यकर्ताओ और पदाधिकारियों ने जमकर उपद्रव मचाना शुरू कर दिया. मौके पर एक पूर्व राज्यमंत्री के नाम का जमकर उपयोग हुआ. भीड़ तंत्र न्याय तंत्र और लोकतंत्र पर हावी हो चूका था. अंततोगत्वा थाने पर पीड़ित पत्रकार की तहरीर लेकर उसको मंडलीय चिकित्सालय एक पुलिस कर्मी के साथ भेज दिया.
थाने पर इकठ्ठा पत्रकार अपने घायल पत्रकार साथी को लेकर चिकित्सालय को चले गए और इसी बीच पुलिस ने आरोपी को इस भीड़तंत्र के दबाव में छोड़ दिया. घायल लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ जब वापस थाने पंहुचा तो ज्ञात हुआ कि उक्त युवक को छोड़ दिया गया है. जाच के बाद उसके ऊपर कठोर कार्यवाही किया जायेगा. इस दौरान थाने पर भी जमकर सपाइयो ने बवाल काटा आखिर इस भीड़ तंत्र के आगे पुलिस को झुकना पड़ा. मौके पर कुछ सपा कार्यकर्ता यह भी पुलिस से कहते सुनाई दे रहे थे कि हमारी सरकार फिर आयेगी. इस दौरान एक पूर्व मंत्री के नाम का जमकर उपयोग हुआ. मौके पर छात्र राजनीत से सक्रिय राजनीत में आये एक सपा पदाधिकारी ने भी खूब पुलिस पर दबाव बनाया,
घटना से पत्रकारों में काफी रोष है. इस घटना में शामिल एक युवक के पकडे जाने के बाद उसके छोड़े जाने पर पत्रकारों में न्याय मिलने को लेकर शंका बलवती हुई है. देर रात हो जाने के कारण पत्रकारों ने इस लड़ाई हेतु कल रणनीति बनाने का फैसला लिया है. अब देखना ये है कि योगी राज में गुण्डा मुक्त समाज का दावा करने वाली सरकार इस गुंडागर्दी से कैसे निपटेगी.
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