हे माँ गंगा क्या मोदी को मंदिर तोड़ने के लिये बुलाया था – प्रमोद माझी

अनुपम राज

वाराणसी. काशी में पौराणिक मन्दिरों व प्राण-प्रतिष्ठित देव-विग्रहों को तोडे जाने के विरोध में विगत तीन महीने से अत्यन्त कठिन तपस्या कर रहे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के समर्थन में आज सायं 5 बजे से माँ गंगा निषादराज सेवा समिति के महामंत्री प्रमोद माझी ने अपने पूर्व घोषणा के अनुसार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी  के वाराणसी में कदम रखते ही गंगा मे गले तक जल में खड़े होकर आकण्ठ जल तपस्या प्रारम्भ कर दिया और जब तक प्रधानमन्त्री वाराणसी में रहेंगे तब तक वे  आकण्ठ जल तपस्या करेंगे ।

प्रमोद माझी के कठिन संकल्प को पूरा करने हेतु उपस्थित जन समुदाय ने बाबा विश्वनाथ से प्रार्थना किया है.  प्रमोद माझी ने गंगा से प्रश्न किया कि हे माँ गंगा क्या आपने मोदी को मन्दिरों को तोड़ने हेतु बुलाया था? जब आपको गंगा ने बुलाया तो उनको क्यो भूल गये ? और जब देश-विदेश घूम कर मन्दिर-मस्जिद जा रहे है तो मन्दिरों को क्यो तोड़ दिया?

नृत्य नाटिका का प्रदर्शन कर पूछा मन्दिर तोडने का कारण

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के समर्थन में गगा ज्ञान दीप संस्था की ओर से राजकुमार के संयोजन में दर्जनों कन्याओं ने नुक्कड़ नाटिका की प्रस्तुति कर बड़े मार्मिक अंदाज में मन्दिरों के तोड़े जाने व सन्त के अपमान का कारण पूछा। नाटिका में प्रमुख रूप से सुपर्णा, श्रेया, लक्ष्मी, तान्या, मुस्कान, प्रगति आदि कन्याये शामिल थी।

कार्यक्रम को सफल बनाने में राजमणि सनातन जी, ब्रम्हचारी ज्योतिर्मयानंद जी, जम्मू वाले बाबा, गङ्गा सेवा अभियानम के सयोजक संजय पाण्डेय, सुनील शुक्ला, हरिनाथ दुबे, विनीत तिवारी, अनुराग दुबे, किशन जायसवाल, सतीश अग्रहरि आदि लोग प्रमुख रूप से शामिल थे।

कल से होगा अखण्ड रामायण पाठ

कल प्रातः 9 बजे से अगले दिन सुबह 9 बजे तक मन्दिर बचाने और स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के स्वास्थ्य की कामना से अखण्ड रामायण का पाठ शंकराचार्य घाट पर उपवास स्थल पर किया जाएगा।

विद्वानों ने दिया स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को समर्थन

संस्कृत व्याकरण के विद्वान् डा रमाकान्त पाण्डेय एवं विदुषी डा कमला पाण्डेय ने आज उपवास स्थल पर पहुँचकर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का हाल जाना और मन्दिर बचाने को अपना समर्थन प्रदान किया। डा कमला पाण्डेय ने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के लिए संस्कृत भाषा में दो श्लोक की रचना की और कहा कि काशी के प्राणवान् देव विग्रहों के खण्डित हो जाने से स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद उसी प्रकार दुःखी हैं जिस प्रकार किसी के मृत हो जाने पर परिवार में शोक हो जाता है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के पराक व्रत तथा मौन व्रत धारण कर लेने पर उन्होंने कहा कि एक तपस्वी किसी का विरोधी नहीं हो सकता। समाज और देश पर संकट न आए इसके लिए वह स्वयं अपने प्राणों पर ही संकट ले लेता है। डा रमाकान्त पाण्डेय ने कहा कि काशी में देव मूर्तियों का अपमान अत्यन्त दुःखद है । सरकार को शीघ्र इस ओर ध्यान देकर सनातन मर्यादा के अनुसार कार्य करना चाहिए।

16 को पूरा होगा स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का पराक व्रत

मन्दिरों को तोड़ दिए जाने पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने जिस 12 दिवसीय पराक व्रत के अनुष्ठान का संकल्प लिया था वह 16 जुलाई 2018 को प्रातः 9 बजे पूर्ण हो जाएगा और उसी दिन मध्याह्न 12 बजे आन्दोलनम् के चौथे चरण की घोषणा होगी ।

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