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वाराणसी पुल हादसा – वर्तमान एवं पुर्व मुख्य परियोजना प्रबन्धक सहित कुल 8 गिरफ्तार

अनुपम राज

वाराणसी. वाराणसी पुलिस शायद देर से ही सही मगर दुरुस्त आई. जब सबको लगने लगा था कि शायद पुल हादसे में अब फाइल को ठन्डे बस्ते में डाल दिया जायेगा. जब मृतक परिजनों के आँखों से आंसू भी सुख चुके थे तो एक ही झटके में वाराणसी पुलिस ने घटना में ज़िम्मेदारी तय करते हुवे मुख्य परियोजना अधिकारी सहित कुल 7 अधिकारी और एक ठेकेदार को गिरफ्तार कर गंभीर धाराओ में जेल भेज दिया.

ज्ञातव्य हो कि दिनांक 15.05.2018 को सायंकाल उ0प्र0 राज्य सेतु निगम द्वारा बनाये जा रहे चौकाघाट लहरतारा फ्लाईओवर पिलर नं0 79 व 80 के बीच जी0 4 एवं जी 5 के अचानक गिर जाने के कारण 15 व्यक्तियों के मृत व 11 व्यक्तियों के घायल होने की घटना घटित हुए थी, कई वाहन भी क्षतिग्रस्त हुए थे। इस घटना से जनता में भी काफी आक्रोश था। इस घटना के सम्बन्ध में दिनांक 16.05.2018 को चौकी प्रभारी रोडवेज, थाना सिगरा के लिखित सूचना पर मु0अ0सं0 272/18 धारा 308/304/427 भादवि व 3/4 लोक सम्पत्ति क्षति निवारण अधि0 का अभियोग उत्तर प्रदेश सेतु निगम के इस परियोजना से जुड़े अधिकारियों एवं कर्मचारियों व ठेकेदारों के विरूद्ध पंजीकृत हुआ था, जिसकी विवेचना अपराध शाखा वाराणसी द्वारा सम्पादित की जा रही थी।

विवेचना के दौरान गवाहों के बयान, मृतकों के पंचायतनामा/पोस्टमार्टम रिपोर्ट, मजरूबों के बयान तथा स्वतंत्र साक्षियों के बायन अंकित किये गये। सेतु निगम द्वारा उपलब्ध कराये गये सम्बन्धित दस्तावेजों का गहन अवलोकन किया गया तथा तकनीकी पहलुओं के दृष्टिगत विशेषज्ञ संस्था सी0एस0आई0आर0-सी0बी0आर0आई द्वारा प्रेषित रिपोर्ट का सम्यक अवलोकन एवं विशलेषण के उपरान्त सेतु निगम के अधिकारियों एवं ठेकेदारौं द्वारा उक्त कार्य के दौरान स्पष्ट रूप से इंजीनीयरिंग मानको की अनदेखी एवं उनका कड़ाई से अनुपालन न किया जाना, सुरक्षा मानको के सम्यक उपाय न किया जाना सम्भावित हे. जार्ड्स का आकलन न करना, मिक्स मेथ्डोलाजी का रैण्डम प्रयोग करना एवं अन्य तकनीकी खामियाँ प्रकाश में आई।

साथ ही सेतु निगम के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा उक्त समस्त बिन्दुओं के बारे में समय-समय पर निरीक्षण नहीं कराया गया। जो भी निरीक्षण किये गये, निरीक्षण में दिये गये निर्देशों का पालन सुनिश्चित नहीं कराया गया। अधिकारियों द्वारा न तो किसी भी संवेदनशील एवं महत्वपूर्ण कार्य विशेषकर लोड ट्रांसफर के मामलों में कार्य के पूर्व अथवा कार्य के पश्चात कोई निरीक्षण नहीं किया गया, जो कि किसी भी आकस्मिकता को रोकने के लिए इंजीनियरिंग की दृष्टि से आवश्यक है, न ही कभी परियोजना से सम्बन्धित सेफ्टी ऑडिट की गयी। इस प्रकार सेतु निगम के अधिकारियों एवं ठेकेदार द्वारा सामूहिक रूप से यह जानते हुए भी कि यदि इंजीनियरिंग के मानकों एवं सुरक्षा के मानकों का पालन नहीं किया गया तो कभी भी ऐसी गंभीर घटना हो सकती है जिससे की जान-माल की क्षति होगी, फिर भी निरन्तर मानको का पालन न करना एक आपराधिक कृत्य है, जैसा कि इस घटना में हुआ। उक्त कमियों हेतु सभी सामूहिक रूप से उत्तरदायी पाये गये। वर्तमान में विवेचना प्रचलित है।

सेतू निगम के जिम्मेदार अधिकारियों एवं ठेकेदारों के ऊपर धारा 304/308/427/34 भादवि व 3/4 लोक सम्पत्ति क्षति निवारण अधि0 के आरोप का पर्याप्त साक्ष्य पाते हुए उ0प्र0 राज्य सेतु निगम के अधिकारीगण क्रमशः
1. मुख्य परियोजना प्रबंधक- हरिश्चन्द्र तिवारी
2. पूर्व मुख्य परियोजना प्रबंधक- गेंदा लाल
3. परियोजना प्रबंधक- कुलजश राय सूदन
4. सहायक अभियंता- राजेन्द्र सिंह
5. सहायक अभियंता (यांत्रिक/सुरक्षा)- राम तपस्या सिंह यादव
6. अवर अभियन्ता (सिविल)- लालचंद सिंह
7. अवर अभियंता (सिविल)- राजेश पाल सिंह
8. ठेकेदार साहेब हुसैन
को आज दिनांक 28.07.2018 को गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा में भेजा गया है।

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