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अफगानिस्तान में कदम जमाने के लिए ट्रम्प की तालेबान के साथ साठगांठ

आदिल अहमद

अफ़ग़ान रक्षा मंत्रालय ने अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प की अफ़ग़ानिस्तान के कुछ अशांत क्षेत्रों से अफ़ग़ान सैनिकों के पीछे हटने पर आधारित नई रणनीति की प्रतिक्रिया में कहा कि अफ़ग़ान सैनिक ज़रूरत के अनुसार जहां चाहेंगे तैनात रहेंगे।

अफ़ग़ान रक्षा मंत्रालय का यह दृष्टिकोण अमरीकी मीडिया में आयी उन रिपोर्टों के बाद आया है जिनमें कहा गया है कि अमरीकी सरकार ने अफ़ग़ान सुरक्षा बलों से कम आबादी वाले क्षेत्रों से बड़े शहरों की ओर पीछे हटने के लिए कहा है। अफ़ग़ानिस्तान में राजनैतिक व सुरक्षा हल्क़ों की नज़र में अमरीका का यह निवेदन एक रणनीति से ज़्यादा तालेबान के साथ अमरीका की गुप्त सहमति का सूचक है ताकि अफ़ग़ानिस्तान के कुछ इलाक़े तालेबान के हवाले होने की स्थिति में उसे इस देश के राजनैतिक व सुरक्षा ढांचे में स्थान दिलाया जा सकेगा। यह ऐसी हालत में है कि अफ़ग़ान सरकार तालेबान के साथ किसी भी तरह की गुप्त बातचीत का विरोध करते हुए दोनों पक्षों के बीच किसी भी तरह की बातचीत व सहमति के लिए अफ़ग़ान संविधान को आधार बनाने पर बल देती है।

2001 में आतंकवाद से मुक़ाबले के बहाने अमरीका की अफ़ग़ानिस्तान पर चढ़ाई और इस देश के अतिग्रहण के 17 साल बाद आज भी अमरीका उसी गुट से बातचीत कर रहा है जो अफ़ग़ानिस्तान में अशांति को हवा दे रहा है।तालेबान के साथ अमरीका की गुप्त बातचीत न सिर्फ़ यह कि अफ़ग़ानिस्तान के आंतरिक मामले में अमरीका का हस्तक्षेप समझी जाती है बल्कि अमरीका का अफ़ग़ान फ़ोर्सेज़ से कम आबादी वाले इलाक़े से पीछे हटने का निवेदन अफ़ग़ान की राष्ट्रीय संप्रभुता का उल्लंघन है।

बहरहाल अफ़ग़ान जनता की नज़र में अमरीका न सिर्फ़ यह कि भरोसे का भागीदार नहीं है बल्कि वह अपने बुरे लक्ष्य के लिए हर तरह के अपराध के लिए तय्यार है। इस परिप्रेक्ष्य में अमरीका न सिर्फ़ यह कि अफ़ग़ानिस्तान के साथ हुए सुरक्षा समझौते का पालन नहीं कर रहा है बल्कि इस देश की जनता के दुश्मन के साथ साठगांठ कर अपनी फ़ोर्सेज़ के लिए सुरक्षित हाशिया और अफ़ग़ानिस्तान को क्षेत्र में अपनी एक बड़ी छावनी के रूप में बदलना चाहता है।

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