आफ़ताब फ़ारूक़ी
इलाहाबाद । ट्रेन से गिरकर घायल हुए व्यक्ति को जीते-जी तो
अपने परिजन नहीं मिलें लेकिन मौत के बाद एक समाजसेवी की सक्रियता
से अपनों का कंधा जरूर नसीब हो गया। शनिवार को पोस्टमार्टम
हाउस पहुंचे परिजन उसका शव लेकर अंतिम संस्कार करने चले गए।
मूलतरू गोरखपुर जनपद के रामपुर चैक कस्बे का रहने वाला
रामाशीष (46) पुत्र रामलखन मुंबई में प्राइवेट नौकरी करता था।
उसकी पत्नी गीता देवी मां-बाप के साथ अपने दो बेटों व दो बेटियों
के साथ गांव में रहती है। पिछले महीने रामाशीष छुट्टी लेकर
घर आया था। 13 जून को वह घर से मुंबई जाने के लिए निकला था।
उसके बाद सुजातपुर रेलवे स्टेशन के पास वह घायलावस्था में पड़ा
मिला था। ट्रैकमैन परमेश्वर प्रसाद ने उसे एसआरएन अस्पताल में भर्ती
कराया था। जहां इलाज के दौरान नौ अगस्त को उसकी मौत हो
गयी। उस वक्त तक उसके घरवाले को पता नहीं था। उसका शव जब
चीरघर पहुंचा तो वहां समाजसेवी मो. आरिफ ने उसका कागज देखा।
मो. आरिफ ने गोरखपुर कोतवाली को फोन करके उसका विवरण
और फोटो भेजा। गोरखपुर पुलिस ने तब जाकर उसके घर
रामपुर चैक सूचना दी। मो. आरिफ के मुताबिक पीआई भरते वक्त
उसके पते में रामपुर चैक की जगह थाना रामपुर चक भर दिया गया
था, जबकि गोरखपुर में इस नाम का कोई थाना ही नहीं था। जिसकी
वजह से उसके परिजनों को खोज पाना मुश्किल हो रहा था।
गोरखरपुर पुलिस के जरिए पता चलने पर शनिवार को उसका बेटा
चंदन कुमार व साला प्रवेश कुमार एसआरएन अस्पताल पहुंचे और
पोस्टमार्टम के बाद शव लेकर अंतिम संस्कार के लिए चले गए।
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