इलाहाबाद : शहर वासियों को साफ हवा मिले, इसके लिए संगम नगरी में डीजल युक्त सवारी गाड़ियों के संचालन पर रोक लग चुकी है। शहरी क्षेत्र में अब कोई भी डीजल युक्त सवारी गाड़ी नहीं चल सकती है।
लेकिन उसके बावजूद ऐसे वाहनों से जहरीला धुआं निकल रहा है। प्रशासन दावा करता है कि शहरी क्षेत्र में डीजल युक्त सवारी वाहन नहीं चल रहे हैं, लेकिन सड़कों पर आसानी से यह देखा जा सकता है। शहर में चलने वाले आधे से अधिक विक्रम पीले रंग (डीजल युक्त) के हैं, जबकि हरे रंग (सीएनजी) के विक्रम चलने की अनुमति है।
मंडलायुक्त का निर्देश है कि शहरी क्षेत्र में 31 मई के बाद डीजल युक्त सवारी वाहन चल नहीं सकते हैं। मियाद पूरी होने के बावजूद शहर ही हर सड़क पर डीजल युक्त वाहन दिनभर दौड़ रहे हैं। उनसे जहरीली गैस वातावरण में घोल रही है। जिन चौराहों पर विक्रम की गाड़ियां सवारियों को बैठाती हैं, वहां पर पहुंचने के बाद ही सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। ऐसा लगता है कि जलन हो रही है। उसके बावजूद ऐसी वाहनों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही। मंडलायुक्त के निर्देशानुसार शहरी क्षेत्र में एटी, बीटी, सीटी, डीटी, ईटी और एफटी की आधे सीरीज की गाड़ियां चल रही हैं। जबकि यह गाड़ियों अब शहरी क्षेत्र के बाहर चल सकती हैं।
क्यों नहीं लग रही है रोक
शहर में डेढ़ हजार से अधिक सीएनजी ऑटो-विक्रम चल रहे हैं। 1200 से अधिक ई-रिक्शा पंजीकृत हा चुके हैं। ई-रिक्शा की पंजीयन की प्रक्रिया लगातार चल रही है। इसके बावजूद शहर में डीजल युक्त विक्रम चल रहे हैं। ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि इन्हें चलवाने की पूरी रकम वसूली जा रही है। यह रकम कौन वसूल रहा है? यह जांच का विषय है, लेकिन आटो चालक ही छिपे तौर पर यह बात बताते हैं। हालांकि आरटीओ प्रवर्तन राजकुमार सिंह का कहना है कि पिछले सप्ताह आरटीए की बैठक में डीजल युक्त सवारी वाहनों को लेकर चर्चा हुई थी। वहां से जैसे ही निर्देश आएंगे, वैसे ही कार्रवाई की जाएगी।
डीजल व सीएनजी वाहनों में प्रदूषण का स्तर
– डीजल गाड़ी में प्रति एक किलोमीटर में 2.4 ग्राम कार्बनमोनो आक्साइड और 21 ग्राम नाइट्रोजन आक्साइड गैस का होता है उत्सर्जन
– सीएनजी गाड़ी में प्रति एक किलोमीटर में 0.4 ग्राम कार्बनमोनो आक्साइड और 8.9 ग्राम नाइट्रोजन आक्साइड गैस का होता है उत्सर्जन
क्या कहते है नियम
यूरो थ्री (मॉडल) वाहन
-2.45 एचएसयू नाइट्रोजन आक्साइड तक स्वीकार
-65 एचएसयू कार्बनमोनो आक्साइड तक स्वीकार
यूरो चार (मॉडल) वाहन
– 1.62 एचएसयू नाइट्रोजन आक्साइड तक स्वीकार
– 50 एचएसयू कार्बनमोनो आक्साइड तक स्वीकार
बिना सीएनजी किट शहर में नहीं घुस पाएंगी स्कूल बसें
डीजल युक्त ऑटो-विक्रम तो शहरी क्षेत्र में चल नहीं ही नहीं सकते हैं। स्कूली बसों पर भी यह नियम लागू है। शहरी स्कूलों की 180
बसों में तो किट लग चुकी है, लगभग 75 बसों के परमिट निरस्त हो चुके हैं। जिन बसों का परमिट निरस्त हुआ है, वह नई सीएनजी बसों खरीद रहे हैं। पिछले सप्ताह आरटीए की बैठक में यह भी निर्णय हुआ है कि अब शहर के बाहर की स्कूल बसों भी अगर यहां आएंगी तो उसके लिए सीएनजी किट अनिवार्य होगी। सीएनजी किट न होने पर बस का चालान काट दिया जाएगा। लगभग डेढ़ दर्जन बसें ऐसी हैं, जो ग्रामीण क्षेत्र से शहर में आती हैं।
अक्टूबर तक सिटी बसों को मोहलत
शहर में प्रदूषण कम करने के लिए सिटी बसों में भी सीएनजी किट लगाने के निर्देश पूर्व में जारी हो चुके हैं। इसके लिए अक्टूबर तक मोहलत दी गई है। रोडवेज ने शासन से 250 सीएनजी बसों की मांग की है, जो संभावना है कि अक्टूबर तक आ जाएंगी। क्योंकि कुंभ के मद्देनजर एक हजार शटल बसें भी शासन से मांगी गई हैं।
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