इलाहाबाद : स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल के किचन में अगर दोपहर या रात के वक्त नजर डालें तो नजारा मर्माहत करता है। कैदियों की तरह थाली लिए मरीजों और तीमारदारों की लाइन लगी है। किसी के हाथ में प्लास्टर बंधा है तो किसी के हाथ में डिप लगी होती है। अस्पताल प्रशासन इस खामी को दूर करने की बजाय स्टाफ की कमी का हवाला देता है।
सभी अस्पतालों में मरीजों के बेड तक खाना पहुंचाया जाता है। यह व्यवस्था छोटे-छोटे जिलों के अस्पतालों में भी है, लेकिन एसआरएन अस्पताल इसके एकदम उलट है। यहां मरीजों को खुद खाने के लिए लाइन लगानी पड़ती है। यह लाइन घंटो लगती है। ऐसे में गरीब मरीज तो इस लाइन में लगते हैं, लेकिन जिनकी जेब में पैसे हैं, वह बाहर से खाना मंगा लेते हैं। इस बारे में अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक डॉ. एके श्रीवास्तव कहते हैं कि खाना तो मरीजों के बेड तक ही पहुंचाना चाहिए, लेकिन अस्पताल में स्टाफ की भारी कमी है, इसलिए मरीजों को लाइन में लगना पड़ता है।
मरीज किडनी का, खाना टीबी मरीजों वाला
स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल में भर्ती अलग-अलग मर्ज से पीड़ित मरीजों को एक ही तरह का खाना परोसा जा रहा है। हालत यह है कि किडनी व हृदय रोग से पीड़ित मरीज को टीबी रोगी वाला खाना दिया जा रहा है। यही कारण है कि अधिकांश मरीजों के लिए तीमारदार बाहर से खाना लाते हैं। इतने बड़े अस्पताल में एक भी डाइटीशियन की तैनाती नहीं है जिसके चलते किस बीमारी से पीड़ित मरीज को क्या खाना देना चाहिए, बताने वाला कोई नहीं है। स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल (एसआरएन) में 500 से अधिक मरीज भर्ती हैं। इन मरीजों के खाने के लिए ‘रोगी किचन’ तो चल रहा है लेकिन आज तक कोई डाइटीशियन ही नहीं नियुक्त हुआ जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है, इन्हें जो भी खाना परोस दिया जाता है वही खा लेते हैं। ‘रोगी किचन’ में प्रतिदिन सभी मरीजों का खाना एक साथ बनता है और वहीं खाना सभी मरीजों को दिया जाता है। जबकि अलग-अलग बीमारियों से पीड़ित मरीजों को उनके अनुरूप खाना दिया जाना चाहिए।
सभी मरीजों को यही मिलती है डाइट
यहां एक मरीज को एक वक्त में पांच रोटी, 28 ग्राम दाल, 87.5 ग्राम सब्जी, 87.5 ग्राम चावल व एक पैकेट दूध (250 एमएल) देने की व्यवस्था है।
मिलना चाहिए यह खाना
सर्जरी के मरीज–पनीर, चावल, दाल, खिचड़ी, ब्रेड, हलवा, खीर, मट्ठा, दूध।
किडनी के मरीज--साबूदाना, आरारोट, कम मलाई वाला दूध, आलू, फल, चावल, खिचड़ी आदि।
टीबी के मरीज–मौसमी हरी सब्जी, चावल, रोटी, दलिया, दाल, सेब, अनार आदि।
लीवर, हार्ट व बीपी- हरी सब्जी, बिना नमक की दलिया, पतली दाल, बिना मलाई वाला दूध आदि।
क्या कहते हैं तीमारदार
यहां तो खाने के लिए घंटों लाइन में खड़ा होना पड़ता है। खाना भी बहुत अच्छा नहीं मिलता। -संतोष कुमार, हंडिया
अस्पताल से जो खाना मिलता है वह ठीक नहीं होता, आए दिन एक ही तरह का खाना मिलता है। -शिवकन्या, बांदा
कभी रोटी खत्म हो जाती है तो कभी दाल। किचन में जाकर खाना ले आना पड़ता है जिससे परेशानी होती है। -श्यामादेवी, प्रतापगढ़
खाना वार्ड में पहुंचाने के बजाय किचन में बुलाया जाता है। यहां लंबी लाइन लगवाकर खाना परोसा जाता है। – रामता प्रसाद, मंडौर
मैं खुद अस्पताल में भर्ती हूं। खाने की यहां बड़ी समस्या होती है। दाल में पानी ज्यादा व दाल कम होता है। -मनोज कुमार, सोहबतियाबाग
बेटी का आपरेशन हुआ है लेकिन दो दिन से एक ही तरह का खाना दिया जा रहा है। खाने की बड़ी समस्या है। -ममता, सुजानगंज
क्या कहते है ज़िम्मेदार
इस सम्बन्ध में प्रमुख अधीक्षक डॉ. ए.के श्रीवास्तव का कहना है कि ‘अस्पताल में कोई डाइटीशियन नहीं है, ऐसे में किस मरीज को किस तरह का खाना देना चाहिए यह बताने वाला कोई नहीं है। सभी मरीजों को दाल, चावल, सब्जी रोटी व दूध दिया जाता है।’
वही एसआरएन अस्पताल के किचेन प्रभारी डॉ. अजय सक्सेना का कहना है कि एसआरएन अस्पताल। ‘मरीजों के खाने की व्यवस्था बेहतर करने की तैयारी चल रही है। इसके लिए शासन को प्रस्ताव भी भेजा गया है। अभी एक ही खाना सभी मरीजों को दिया जा रहा है। कुंभ के पहले अलग-अलग विभाग में भर्ती मरीजों के लिए उनकी बीमारी के अनुरूप खाने की व्यवस्था होगी।’
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