कनिष्क गुप्ता
इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भदोही में पुलिस अभिरक्षा में रामजी मिश्र की मौत की विवेचना उच्च अधिकारियों के निर्देश के अभाव में रुकी होने की गम्भीरता से लिया है और विवेचनाधिकारी नवीन कुमार तिवारी के साथ भदोही के एसपी को 16 अगस्त को कोर्ट में हाजिर होने का निर्देश दिया है साथ ही कोर्ट ने प्रमुख सचिव गृह से जानकारी मांगी है कि पुलिस अभिरक्षा में मौत मामले में सरकार क्या कार्यवाही होनी चाहिए थी, कि रिपोर्ट मांगी है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति ओम प्रकाश सप्तम की खण्डपीठ ने रेनू मिश्रा की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है, याचिका पर अधिवक्ता लोकेश कुमार द्विवेदी ने बहस की, मालूम हो कि पुलिस अभिरक्षा में मौत की घटना की प्राथमिकी 1 जुलाई 2018 को दर्ज की गयी, कोर्ट ने कहा कि मृत्यु के कारण का पता लगाया जाना चाहिए जिस पर कोर्ट ने विवेचनाधिकारी को तलब किया। कोर्ट में रिकार्ड के साथ विवेचनाधिकारी हाजिर हुए और एजीए ने कोर्ट को बताया कि कानून के विपरीत मृतक को अभिरक्षा में लिया गया और हत्या के दोषियों की गिरफ्तारी का कोई प्रयास नहीं किया गया। विवेचना की कोई प्रगति नही हो सकी क्योंकि उच्च अधिकारियों के लिप्त होने के कारण विवेचनाधिकारी कडे़ कदम नहीं उठा सकता, सीनियर अधिकारियों ने दिशा निर्देश नहीं किये, इस लिए बिना भय व पक्षपात रहित विवेचना नहीं हो सकी है, पुलिस अभिरक्षा में मौत मामले में उच्च अधिकारियों की गाइड लाइन के बगैर विवेचना नी हो पा रही है, कोर्ट ने एसपी भदोही से पूछा है कि क्यों कोई कार्यवाही नहीं की गयी, यहां तक कि आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं की गयी, मामले की सुनवाई 16 अगस्त को होगी।
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