लखीमपुर खीरी:- स्मार्ट पेट्रोलिंग में दुधवा टाइगर रिजर्व पूरे देश के टाइगर रिजर्व में सबसे आगे रहा है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण एनटीसीए ने एम स्ट्राइप्स सॉफ्टवेयर का बेहतर इस्तेमाल करते हुए स्मार्ट पेट्रोलिंग का कीर्तिमान बनाने के लिए दुधवा टाइगर रिजर्व प्रशासन की सराहना की। यह स्मार्ट पेट्रोलिंग दुधवा नेशनल पार्क, किशनपुर, कर्तनिया घाट और दुधवा टाइगर रिजर्व के बफर जोन में चल रही है।
सॉफ्टवेयर से लगाएंगे लोकेशन का पता:-
मानसून पेट्रोलिंग को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए एम स्ट्राइप्स सॉफ्टवेयर के जरिए पेट्रोलिंग को और भी स्मार्ट बनाया गया है। इस सॉफ्टवेयर के जरिए पेट्रोलिंग टीम की लोकेशन का पता लगाया जा सकता है कि पेट्रोलिंग टीम ने एक दिन में कुल कितने किलोमीटर तक पेट्रोलिंग की है। नेशनल पार्क के उपनिदेशक महावीर कॉजलागि ने 12 अगस्त को 22 किलोमीटर पैदल चले। इस बीच उन्होंने भारत नेपाल सीमा पर बहने वाली धोदा नदी के लकड़ी के खतरनाक पुल को रस्सी के सहारे पार किया। इतना ही नहीं बल्कि इस बार की जा रही पेट्रोलिंग में वन विभाग के बड़े अफसर से लेकर वचर तक पैदल चल कर वन्य और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिये पसीने बहा रहे हैं।
ड्रोन कैमरे का ट्रायल:-
इससे पहले ग्लोबल टाइगर डे पर 29 जुलाई को दुधवा टाइगर रिजर्व में लांग रूट पेट्रोलिंग का आयोजन किया गया था। इसके लिए बनाई गई करीब 40 टीमों ने 15 घंटे में 700 किलोमीटर की पैदल पेट्रोलिंग की थी। यह भी अपने में एक बहुत ही बड़ा रिकॉर्ड है। दुधवा टाइगर रिजर्व की फील्ड डायरेक्टर रमेश कुमार पांडे, दुधवा नेशनल पार्क के उप निदेशक महावीर कॉजलागि, कर्तनिया घाट के डीएफओ जीपी सिंह, दुधवा टाइगर रिजर्व के बफर जोन के उप निदेशक डॉक्टर अनिल कुमार पटेल के नेतृत्व में हुई इस पेट्रोलिंग में वन कर्मियों के अलावा डब्लूडब्लूएफ के अधिकारी और डब्लूटीआई के लोग शामिल हुए। लांग रूट पेट्रोलिंग के दौरान जंगल में ड्रोन कैमरे का भी ट्रॉयल लिया गया।
क्या है इस स्मार्ट पेट्रोलिंग:-
स्मार्ट पेट्रोलिंग जीपीएस सिस्टम और एम स्ट्राइप्स सॉफ्टवेयर से जुड़ी है। इसमें पेट्रोलिंग टीमों के पास मौजूद स्मार्टफोन जीपीएस सिस्टम से लैस होते हैं और उस पर एम स्ट्राइप्स सॉफ्टवेयर लोड होता है। टीमें जैसे ही पेट्रोलिंग पर रवाना होती हैं, उनके रूट का रास्ता और कितनी दूरी तय की गई। किसी समय टीम की लोकेशन क्या है। इस बात का पता चल सकता है। इतना ही नहीं बल्कि इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से टीमें कहां पर कितनी देर तक रुकीं, इसका भी विवरण टीम के पास मौजूद कंप्यूटर और कंट्रोल रूम के कंप्यूटर पर आ जाता है। इससे पेट्रोलिंग टीमों पर पूरी नजर रखी जा सकती है। साथ ही उन्हें किसी प्रकार की समस्या पर तत्काल सहायता भी उपलब्ध कराई जा सकती है।
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