आफताब फारुकी
हालिया दिनों में सीरिया में दाइश के बचे आतंकी आख़िरी सांसें ले रहे हैं, साक्ष्यों से पता चलता है कि सीरियाई सेना का अगला निशाना इदलिब है। अमरीका, इस्राईल, कुछ पश्चिमी और कुछ क्षेत्रीय अरब देशों, हर एक ने अपने अपने तर्कों और विशेष नारों से पिछले सात वर्षों के दौरान सीरिया की क़ानूनी सरकार को गिराने का भरसक प्रयास किया।
कुछ लोग कहकर तो कुछ लोग बिना कहे इस्राईल की सुरक्षा को सुनिश्चित बनाने की आवश्यकता पर बल दे रहे थे जबकि कुछ इस संकट को अपने देश से दूर रखने के लिए इस रणक्षेत्र में कूद पड़े और तीसरा गुट इस प्रयास में था कि सीरिया के विभाजन की छत्रछाया में वह अपनी सीमाओं का विस्तार कर लेंगे। इसी परिधि में अपने इन लक्ष्यों को व्यवहारिक बनाने के लिए सीरिया में बहुत से छोटे बड़े गुटों का गठन किय गया और उनको भारी हथियारों से लैस किया गया ताकि दुनिया को यह दिखा सकें कि सीरिया संकट पूर्ण रूप से आंतरिक है। इस देश में जो कुछ हो रहा है उसका संबंध सीरिया के आंतरिक मामलों से है किन्तु वास्तविकता कुछ और ही थी।
वास्तव में सीरिया में प्राक्सी वॉर, सीरिया की क़ानूनी सरकार, अरब रजवाड़ों और पश्चिम के बीच थी किन्तु अब प्रतिरोध के सात वर्षों के बाद साक्ष्यों से पता चलता है कि सीरिया की जनता, सरकार और प्रतिरोध का पलड़ा भारी है। वर्तमान नई परिस्थितियों में सीरिया की सेना देश के दक्षिणी भाग में सफल हो रही है और आतंकवादियों को बर्बाद कर रही है, या सेना के सामने आत्मसमर्पण पर मजबूर हैं या इदलिब की ओर अपने साथियों के पास जाने पर विवश हैं।
रक़्क़ा और देश के उत्तरी भागों में अमरीकी समर्थित कुर्दों ने भी सेना के सामने समर्पण कर दिया है और उन्होंने सफल वार्ता करके देश की धारा में शामिल होने पर सहमति व्यक्त कर दी है। सीरिया के एक बड़े क्षेत्र पर नियंत्रण करने वाला और सीरिया में अपनी राजधानी की घोषणा करने वाला दाइश आतंकी संगठन हौज़ यरमूक में अपनी अंतिम सांसें ले रहा है और सूत्रों के अनुसार दरआ में दाइश केवल दो प्रतिशत से कम भाग में जूझ रहा है। वह लड़ रहे हैं क्योंकि उनके पास लड़ने और मरने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है और शायद सीरियाई सेना की धीमी प्रगति का एक कारण यह भी हो सकता है कि उन्होंने मरने को चुना है
दाइश के मुक़ाबले में सीरियाई सेना को मिलने वाली सफलताओं के दृष्टिगत अगले कुछ दिनों में दाइश का काम ख़त्म हो जाएगा और वाइट हेलमेट्स नामक आतंकवादियों के इस्राईल भागने और कुर्दों का सरकार के साथ होने से इस दावे की पुष्टि होती है। वास्तव में वाइट हेलमेट्स नामक गुट, बश्शार असद सरकार के विरुद्ध दुश्मनों की साफ़्ट आर्मी थी जिसकी ज़िम्मेदारी डाक्युमेंट्री फ़िल्में बनाकर और तथाकथित घटना स्थल की फ़ोटो खींचकर असद सरकार को बदनाम करना था।
इस आधार पर नई परिस्थितियों में जीतने के लिए केवल इदलिब का मोर्चा ही बाक़ी है, इदलिब ही आतंकवादियों का अंतिम ठिकाना है। रिपोर्टों के आधार पर इदलिब में सबसे अधिक नुस्रा फ़्रंट के आतंकी हैं, अलबत्ता इस क्षेत्र में रहने वाले समस्त आतंकी गुटों को तुर्की का समर्थन प्राप्त है।
तुर्की का दावा है कि पीकेके के मुक़ाबले में अपनी रक्षा के लिए वह इदलिब सहित सीरिया की उत्तरी पट्टी पर मौजूद है, वह इदलिब के अतिग्रहण और सीरिया के उत्तरी क्षेत्रों पर नियंत्रण पर बल दे रहा है। बहरहाल कुछ टीकाकारों का मानना है कि इदलिब में तुर्की के प्रयासों से धर्म के रक्षक नामक गुट की स्थापना इसीलिए की गयी है।
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