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युवाओं में बढ़ रहा है हार्टअटैक का खतरा

कनिष्क गुप्ता

इलाहाबाद : कार्डियो वेस्क्युलर सोसाइटी के तत्वावधान में इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन के सभागार में दो दिनी हृदय रोग चिकित्सकों की संगोष्ठी रविवार को समाप्त हो गई। आखिरी दिन चिकित्सों ने इलाज की नई पद्धतियों की चर्चा की। साथ ही यह भी बताया कि लाइफ स्टाइल में बदलाव की वजह से युवाओं में हार्ट अटैक का खतरा बढ़ चला है।…

कार्डियो वेस्क्युलर सोसाइटी के तत्वावधान में चल रही हृदय रोग चिकित्सकों की दो दिनी संगोष्ठी रविवार को यहां संपन्न हो गई। इस दौरान चिकित्सक जगत से जुड़े लोगों के साथ-साथ आम जनमानस के हित में तमाम बातें सामने आईं। आखिरी दिन दिल के रोगों के साथ साथ डायबिटीज पर भी चर्चा हुई। ‘कार्डियोलाजी कान्फ्लुएंस’ के समापन सत्र में फोर्टिस एस्कार्ट हार्ट इंस्टीट्यूट दिल्ली के डायरेक्टर डा. जेडएस मेहरावल ने आर्टीफिशियल हार्ट को सक्सेस बताया। कहा कि इसकी सफलता दर 95 फीसद है। लागत जरूर अधिक है, करीब 70 लाख रुपये का खर्च आता है बड़े अस्पतालों में, लेकिन जिंदगी तो इससे ज्यादा कीमती है।

फोर्टिस के ही डॉ.अतुल माथुर ने बताया कि ऐसे मरीज जो गंभीर रूप से हृदय रोग पीड़ित हैं, उनका इलाज भी आधुनिक तकनीक के जरिए संभव हो चला है। अब तो हृदय रोग पीड़ितों में जांघ के जरिए बिना चीरफाड़ किए हार्ट पंप लगाया जाने लगा है। डॉ. माथुर ने कहा कि लाइफ स्टाइल में बदलाव से लोग बीमार पड़ रहे हैं। हृदय रोगों के लिए भी लाइफ स्टाइल कहीं न कहीं जिम्मेदार है। भागम भाग व तनाव भरी जिंदगी इसकी वजह है। नशे के लती युवा भी तेजी से हृदय रोग की चपेट में आ रहे हैं। गांवों की अपेक्षा शहरों में हार्ट संबंधी बीमारियां ज्यादा हो रही हैं। डा. शिवांजलि चतुर्वेदी ने डायबिटीज से होने वाले खतरों का उल्लेख किया। कहा कि हमारे देश में डायबिटीज पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। हालत ऐसे बन चले हैं कि भारत को डायबिटिक कैपिटल तक कहा जाने लगा है। शुगर रोगियों की संख्या भी बढ़ी है। दोनों ही बीमारियों की दवाएं साथ में दी जाती हैं। पहले यह बीमारी अमीरों में ही होती थी, अब यह हर वर्ग में फैल रही है। सचेत रहना ही इस बीमारी से बचाव का बेहतर तरीका है।

इससे पहले शनिवार को इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन के नए भवन में जुटे चिकित्सकों का कहना था कि सांस फूलने जैसी समस्या की अनदेखी नहीं करनी चाहिए। अब ऐसे कई मामले आ रहे हैं जिनमें पीडि़त लोग दिल की बीमारियों से पीडि़त होते हैं। आयोजन के पहले दिन दो सत्र हुए। इसमें हार्ट फेल होना की दशा में किस तरह से मरीज की जान बचायी जाय, इस पर चर्चा हुई। प्रोजेक्टर के माध्यम से विभिन्न समस्याओं को समझाया गया। मेदांता हास्पिटल दिल्ली के डा. गगनदीप ने बताया कि नई खोज से हार्ट संबंधी बीमारियों में दवाइयां काफी कारगर हुई हैं।

बीएचयू वाराणसी के कार्डियोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ. धर्मेद्र जैन ने हार्ट फेल होने पर कौन सी दवाएं तत्काल दी जानी चाहिए, इस पर फोकस किया। उन्होंने कहा कि सांस फूलना दिल की बीमारी का लक्षण है। इसलिए तत्काल रोगी को जांच कराना चाहिए। हार्ट में जो पंप होता है वह कभी कभी बंद हो जाता है। डा. जैन ने कहा कि हमारे पास 20 वर्ष तक के ऐसे युवा भी आ रहे हैं जिन्हें हार्ट अटैक की समस्या है। इधर बीच ऐसी कई दवाईयां आईं हैं, जिनके प्रयोग से दिल के रोगियों के लिए बेहतर परिणाम सामने आए हैं।

डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज जोधपुर के असिटेंट प्रोफेसर रोहित माथुर ने कहा कि अब नई नई दवाएं उपलब्ध हैं जो हार्ट अटैक व हार्ट फेल्योर में सहायक साबित हो रही हैं। ग्लोबल हार्ट इंस्टीट्यूट आगरा के डॉ. सौवीर गुप्ता का कहना था कि हार्ट फेल होने पर डिवाइस भी कारगर साबित हो रहा है। कार्यक्रम आयोजक इलाहाबाद हार्ट सेंटर के डायरेक्टर डॉ. उमर हसन ने सभी के प्रति आभार जताया। फोर्टिस हार्ट इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डॉ. अतुल माथुर व डॉ. जेएस मेहरवाल, डॉ. मनोज माथुर, डॉ. एमके मदनानी, डॉ. जीएस सिन्हा, डॉ. आरपी शुक्ल, डॉ. अनिल शुक्ल, डॉ. तारिक महमूद, नितेश त्रिपाठी मौजूद रहे। समापन सत्र में सभी अतिथियों को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया।

हार्ट स्पेशलिस्ट की सलाह

कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट बीएचयू के एचओडी डॉ. धर्मेद्र जैन की सलाह है कि प्रतिदिन सुबह आधे घंटे तेज रफ्तार से टहला जाय तो इससे हार्ट फेल होने की आशंका कम हो जाती है। नशे व तनाव से भी बचना चाहिए। नशा करने वाले लोग तेजी से इसकी चपेट में आ रहे हैं। मेंदाता हॉस्पिटल गुड़गांव के डॉ. गगनदीप की राय में हार्ट फेलियर होने की दशा में हमेशा जांच होनी चाहिए। बीएचयू के डा. विकास अग्रवाल का सुझाव है कि हार्ट फेल होने के संकेत मिले तो तत्काल जांच कराना चाहिए। सांस फूले अथवा कोई और समस्या हो तो चिकित्सक को दिखाने में परहेज नहीं करना चाहिए। कार्डेक बायो मार्कर नामक मशीन से थोड़ा सा ब्लड निकालकर इसकी जांच संभव है। कुछ ही पलों में यह स्पष्ट हो जाता है कि हार्ट फेलियर है या नहीं।

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