आदिल अहमद
इस बात पर किसी को भी आश्चर्य नहीं हुई कि इस्राईली अख़बार मआरीव के सुरक्षा व सामरिक मामलों के विशेषज्ञ यूसी मिलमैन ने कहा कि यदि युद्ध छिड़ा तो हिज़्बुल्लाह इस्राईल पर रोज़ाना 700 मिसाइल फ़ायर करेगा।
विशेषज्ञ का कहना था कि इस्राईली सेना के कमांडरों विशेष रूप से गैदी आयज़न्कोट ने इस्राईली मंत्रिमंडल की सुरक्षा व राजनैतिक मामलों की समिति के सामने यह बात रखी है कि युद्ध हुआ तो बहुत बड़ी समस्या का सामना करना पड़ेगा।
यूसी मिलमैन के बारे में कहा जाता है तेल अबीब में सुरक्षा व सामरिक संस्थाओं से उनके क़रीबी संबंध हैं अतः उनकी टिप्पणियों को गंभीरता से लिया जाता है। मिलमैन ने कहा कि इस्राईली सेना ने जो अंदाज़ा लगाया है उसके अनुसार हिज़्बुल्लाह के पास 1 लाख 20 हज़ार से अधिक मिसाइल और राकेट हैं और वह बड़ी सरलता से रोज़ाना 700 मिसाइल इस्राईल पर मार सकता है। मिलमैन ने यह नहीं बताया कि इस हमले में संभावित रूप से किन ठिकानों को निशाना बनाया जा सकता है।
हिज़्बुल्लाह के पास जो मिसाइल भंडार है उसमें सबसे अधिक संख्या ग्राड मिसाइलों की है जिन्हें कट्यूशा भी कहा जाता है। इसकी रेंज 45 किलोमीटर होती है और वह दस से पंद्रह किलोमीटर का वारहेड ढो सकता है। हिज़्बुल्लाह के पास हज़ारों की संख्या में वह मिसाइल भी हैं जिनकी रेंज 200 किलोमीटर या उससे ज़्यादा है और वह इस्राईल में कही भी पहुंचने की क्षमता रखते हैं।
यूसी मिलमैन ने बताया कि उन्हें इस्राईल के सामरिक सूत्रों ने सूचित किया है कि हिज़्बुल्लाह के पास जो मिसाइल हैं वह लक्ष्य को भेदने में बहुत सटीक हैं और स्ट्रैटेजिक निशानों को कामयाबी से ध्वस्त कर सकते हैं। विशेषज्ञ का मानना है कि यदि इस्राईल वायु रक्षा व्यवस्था ने आधे मिसाइलों को मार गिराया और कुछ मिसाइल तकनीकी ख़राबी के कारण गिर गए तब भी हिज़्बुल्लाह कई हफ़्तों तक युद्ध जारी रख सकता है।
विशेषज्ञ के अनुसार एक अन्य समस्या यह है कि इस्राईल ने मिसाइल ढाल व्यवस्थ के रूप में आयरन डोम को स्थापित कर रखा है लेकिन जिस प्रकार के मिसाइल हिज़्बुल्लाह के पास हैं उन्हें हवा में तबाह कर पाना इस सिस्टम के लिए आसान नहीं है।
इन हालात में इस्राईली सेना के लिए ज़रूरी होगा कि बहुत तेज़ी से इलाक़ों को ख़ाली करवाए जबकि लाखों की संख्या में लोग ख़ुद भी भाग खड़े होंगे। इस्राईली अधिकारी उन स्थानों को तैयार कर रहे हैं जहां भागने वालों को शरण दी जा सके।
विशेषज्ञ का कहना है कि यदि अन्य मोर्चों पर शांति रही तब भी इस्राईली अर्थ व्यवस्था बुरी तरह चरमरा जाएगी। क्योंकि उद्योग बंद हो जाएं, बिजली की सप्लाई कट जाएगी, पानी की सप्लाई भी रुकेगी, इस्राईल को अपने एयरपोर्ट भी बंद करने होंगे। इन हालात में इस्राईल का कोई भी अधिकारी हिज़्बुल्लाह से युद्ध छेड़ने की हिम्मत नहीं कर सकता।
हिज़्बुल्लाह ने अपने प्रतिरोधक और दृढ़ता से ख़ुद को मज़बूत किया है और इस्राईल को विश्व शक्तियों से भारी मदद मिलती रही है लेकिन आज हालत यह है कि उसके पास हिज़्बुल्लाह का सामना करने की ताक़त नहीं है।
टीकाकार यह मानते हैं कि आने वाला समय इस्राईल के लिए बहुत बुरा समय है क्योंकि इलाक़े के हालात बहुत तेज़ी से बदल रहे हैं और उन शक्तियों का प्रभाव बढ़ रहा है जो साम्राज्यवाद और उसकी योजनाओं का विरोध करते हैं। इस्राईल की हालत यह हो गई है कि वह ग़ज़्ज़ा में मौजूद हमास संगठन से भी कोई लड़ाई लड़ने की हिम्मत नहीं कर पा रहा है।
इसीलिए यह विचार बिल्कुल दुरुस्त मालूम होता है कि इस्राईल बहुत तेज़ी से ख़त्म हो जाएगा।
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