आदिल अहमद
इस्राईल के बुरे दिन चल रहे हैं और नेताओं में इस स्थिति को लेकर काफ़ी चिंता है।
सूचना है कि इस्राईली सेना में भर्ती के प्रति स्थानीय लोगों में रुजहान बहुत कम हो गया है और लोग इन इकाइयों का हिस्सा नहीं बनना चाहते जो युद्ध के मोर्चों पर तैनात होती हैं।
इस्राईल टुडे ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा है कि इस्राईली अधिकारियों में इस बात पर गहरी चिंता है कि इसराईली सेना में भर्ती होने वाले लोग एसी इकाइयों में शामिल होने पसंद करते हैं जो झड़पों में प्रत्यक्ष रूप से शामिल नहीं होतीं
रुजहान में 50 प्रतिशत की कमी आई है जो अभूतपूर्ण है।
यदीऊत अहारोनोत अख़बार के रिपोर्टर ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि इस्राईली सैनिकों की रुचि बहुत कम हो गई है।
इसी बीच इस्राईल के सेंट्रल ब्यूरो आफ़ स्टैटिस्टिक्स ने एक रिपोर्ट में कहा है कि विदेशों से इस्राईल आकर बसने वाले यहूदियों की संख्या कम हो गई है जबकि इस्रराईल से वापस अपने असली वतन लौटने वाले यहूदियों की संख्या बढ़ रही है। ब्यूरो ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि वर्ष 2015 में साढ़े आठ हज़ार यहूदी इस्राईल से अपने देशों की ओर लौट गए जबकि वर्ष 2016 और 2017 में यह प्रक्रिया और भी तेज़ हो गई है।
इस्राईल अपनी अमानवीय नीतियों के चलते कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है जबकि उसके विरोधियों अर्थात फ़िलिस्तीनी संगठनों, हिज़्बुल्लाह लेबनान और ईरान की शक्ति में वृद्धि से भी इस्राईल में गहरी चिंता है।
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