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बहरैन का संकट दायरा बढ़ सकता है

आफ़ताब फ़ारूक़ी

बहरैनी जनता ने अपने राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर बेलादुल क़दीम सहित देश के विभिन्न क्षेत्रों में आले ख़लीफ़ा शासन के विरुद्ध व्यापक प्रदर्शन किए हैं।

बहरैन में किए गये प्रदर्शन में शामिल लोगों ने वरिष्ठ शीया धर्मगुरु आयतुल्लाह शैख़ ईसा क़ासिम की त्वरित रिहाई की मांग की है।

आले ख़लीफ़ा शासन ने दो साल पहले वरिष्ठ शीया धर्मगुरु आयतुल्लाह शैख़ ईसा क़ासिम को निराधार दावों और बहानों से गिरफ़्तार करके उनकी नागरिकता रद्द कर दी थी और उन्हें उनके घर में नज़र बंद कर दिया था जबकि उनके पैतृक क्षेत्र दुराज़ का परिवेष्टन भी कर रखा है।

बहरैनी जनता के व्यापक प्रदर्शनों के बाद शाही सरकार, आयतुल्लाह शैख़ ईसा क़ासिम को उपचार के लिए विदेश जाने की अनुमति देने पर विवश हुई।

दूसरी ओर बहरैन के सबसे बड़े विपक्षी दल अलवेफ़ाक़ ने देश के राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर अपने बयान में कहा कि शाही सरकार का जनता से संपर्क और समझौता न होने के कारण यह सरकार इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुज़र रही है।

अलवेफ़ाक़ पार्टी ने अपने बयान में देश में राष्ट्रीय स्तर की व्यापक योजनाओं पर बल दिया और सचेत किया कि नागरिकों के भीतर विश्वास की कमी और न्याय का ध्यान न देने के कारण देश में संकट का दायरा बढ़ सकता है।

ज्ञात रहे कि बहरैन में फ़रवरी 2011 से शाही सरकार के विरुद्ध जनता के शांतिपूर्ण संघर्ष और जनक्रांति जारी है। बहरैनी जनता देश में स्वतंत्रता और राजनैतिक सुधार की मांग कर रही है।

aftab farooqui

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