आदिल अहमद
जिस मुलाक़ात में घटक और मित्र एकत्रित हैं उस पर आम तौर पर सवाल नहीं उठता। यही बात हिज़्बुल्लाह के प्रमुख सैयद हसन नसरुल्लाह और अंसारुल्लाह आंदोलन के प्रतिनिधिमंडल की मुलाक़ात के बारे में कहा जाना चाहिए।
इस प्रतिनिधिमंडल में अंसारुल्लाह के प्रवक्ता मुहम्मद अब्दुस्सलाम, अब्दुलमलिक अलअजरी और इब्राहीम अद्दैलमी शामिल हैं।
हिज़्बुल्लाह और अंसारुल्लाह की दोस्ती पुरानी है और यमन पर सऊदी अरब ने जब हमला किया तो इसके ख़िलाफ़ हिज़्बुल्लाह ने खुलकर अपनी आवाज़ उठाई इससे यह दोस्ती और बढ़ी। हालांकि सऊदी अरब का खुलकर विरोध करने के कारण हिज़्बुल्लाह और सैयद हसन नसरुल्लाह को बड़े दबाव का सामना करना पड़ा।
सैयद हसन नसरुल्लाह से अंसारुल्लाह के प्रतिनिधिमंडल की मुलाक़ात निहितार्थ से ख़ाली नहीं है। विशेषकर इसलिए भी कि यह पहला अवसर है जब इस मुलाक़ात का एलान किया गया है। दूसरी बात यह है कि इस मुलाक़ात का एलान एसे समय किया गया गया है जब दो महत्वपूर्ण बातें हो रही हैं। एक तो यमनी पक्षों के बीच वार्ता शुरू होने वाली है जिसकी निगरानी संयुक्त राष्ट्र संघ करेगा। दूसरी ओर लेबनान में नई सरकार बनने वाली है। इससे पहले चुनाव में हिज़्बुल्लाह के एलायंस को बड़ी सफलता मिली थी। यह सफलता सऊदी अरब की पराजय के अर्थ में भी है।
इस समय अंसारुल्लाह और हिज़्बुल्लाह दोनों को सऊदी अरब के मुक़ाबले में महत्वपूर्ण सफलताएं मिली हैं। हिज़्बुल्लाह ने लेबनान में राजनैतिक सफलता प्राप्त की है और यमन में अंसारुल्लाह ने सऊदी गठबंधन की सैनिक कार्यवाही को नाकाम बनाकर सामरिक क्षेत्र में उसे परास्त किया है। यमन में सऊदी अरब की विफलता इसलिए है कि वह यमन की सेना और स्वयंसेवी बलों का प्रतिरोध तो तोड़ नहीं पाया हां आम नागरिकों के नरसंहार की वजह से रियाज़ सरकार को दुनिया भर में आलोचनाओं का सामना ज़रूर करना पड़ रहा है। सऊदी अरब ने हाल ही में बच्चों का नरसंहार किया है जिससे वह अरब जगत और पश्चिमी देशों में भी निंदा झेल रहा है।
सऊदी अरब बार बार आरोप लगाता है कि हिज़्बुल्लाह यमन में अंसारुल्लाह की मदद कर रहा है। सऊदी अरब यह प्रचार करके अंसारुल्लाह की लोकप्रियता कम करने की कोशिश में है लेकिन यमन के भीतर स्थिति यह है कि अंसारुल्लाह सऊदी अरब के हमलों का सामना करने की वजह से देश की जनता के भीतर अधिक लोकप्रिय होता जा रहा है। दूसरी ओर सऊदी युद्धक विमानों की बमबारी से आम नागरिकों के जनसंहार के नतीजे में यमन में सऊदी अरब के ख़िलाफ़ घृणा अपने चरम पर है।
यमन युद्ध से सऊदी अरब को बस यही नतीजा मिला है कि दुनिया में उसकी आलोचना हो रही है और यमन में सऊदी अरब को नफ़रत की निगाह से देखा जा रहा है।
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