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जब मधुबन के क्रांतिवीरो ने स्वतंत्रता के महासंग्राम मे अपनी अमित शिनाख्त कायम करने का इतिहास रचा

राज बहादुर सिंह

मऊ : गांधी जी के आह्वान पर अंग्रेजो के चंगुल से देश को आजाद कराने के लिए अंग्रेज भारत छोड़ो आंदोलन की अलख जो जगी थी उसे अगस्त क्रांति के नाम से जाना जाता है। जिसमे मधुबन की उत्साही जनता ने भी बढ़ चढ़ के भाग लिया था, जिसे सफल बनाने के लिए दुबारी, फतहपुर, घोसी मंडल के कार्यकर्ता इन्कलाबी नारो के साथ थाने पर झण्डा फहराने के लिए जत्थो मे कूच किए । जत्थो का नेतृत्व दुबारी मंडल का मंगलदेव पाण्डेय उर्फ श्रषि जी, राम सुन्दर पाण्डेय, आचार्य गोरखनाथ, फतहपुर मंडल का रामवृक्ष चौबे, राम नक्षत्र तिवारी, माता प्रसाद, पाण्डेय व दरगाह मंडल का रामचंद्र पाण्डेय, सहदेव राम, बैरागी राम, राम बहादुर लाल कर रहे थे ।

15 अगस्त 1942 को क्रातिकारियो का जत्था मधुबन थाने के आस-पास इन्कलाबी नारो के साथ अपरान्ह तीन बजे थाने पर तिरंगा झण्डा फहराने की हुंकार भरते क्रांतिकारी हजारो की संख्या मे इकट्ठा हो गए । तत्कालीन थानेदार मुक्तेश्वर सिंह की सूचना पर आए तत्कालीन जिलाधीश निबलेट क्रातिकारियो के जत्थे को देख बौखला गए तथा आला अधिकारियो के निर्देश पर थाने के अन्दर से 4 बजे से 6 बजे तक रूक रूक कर 149 राउंड गोलियां चलाया जिससे 13 लोग थाने गेट व आस-पास राष्ट्र के नाम शहीद हुए जिसमे सर्व श्री राम नक्षत्र पाण्डेय कन्धरापुर, रामपति तिनहरी, सोमर गड़ेरी मर्यादपुर, कुमार माझी मर्यादपुर, हनीफ दर्जी गुरूम्हा, शिवधन हरिजन पहाड़ीपुर, रघुनाथ भर भवानी सराय, राजदेव कान्दू रामपुर, भागवत सिंह कुचाई, लक्षनपति यादव नेवादा, बनवारी यादव, कटघराशंकर, मुन्नी कुंवर तिघरा, बन्धु नोनिया का नाम कटघराशंकर व कस्बा मधुबन शहीद स्मारक के शिलापट्ट पर अंकित उनके त्याग, बलिदान व कुर्बानी का संदेश देते नयी पीढ़ी के युवा वर्ग के लिए प्रेरणास्रोत बना हुआ है ।

जबकि थाना गोली कांड मे कुल 28 लोगो का अंग- भंग हुआ था जबकि हजारो लोग चोट हिल हुए थे । गोलीकांड के बाद भी क्रातिकारियो का हौसला बुलंद था । माता प्रसाद पाण्डेय ने थानेदार के घोड़े पर सवार होकर घूम घूम कर बताया कि हमारा लक्ष्य पूरा हो गया थाने पर तिरंगा झण्डा फहरा दिया गया । व्रिटिश शासको ने क्रांतिवीरो के दमन के लिए प्रत्येक दांव-पेंच अपनाया लेकिन थाना गोली कांड के बाद भी बगावत का स्वर दबा नही । क्षेत्र के अमर शहीदो की यादगार को जीवन्त बनाने के लिए जहां प्रति वर्ष 15 अगस्त को मधुबन मे एक भव्य मेला का आयोजन है वही शहीद इण्टर कालेज मधुबन की स्थापना भी अमर शहीदो के गौरवगाथा की अमिट तस्वीर बना हुआ है ।

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