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तारिक आज़मी की मोरबतिया – लीजिये नगर आयुक्त जी, सीवर में बह रही दालमंडी के कारोबारी देंगे कल धरना, साहब काम में हाथ नहीं लगा

तारिक आज़मी

वाराणसी. लो साहेब एक बार फिर हम बतिया की खटिया बिछाने आ गए है. असल में हमारे काका अकसरे कहते रहे है कि बतिया है कर्तुतिया नाही, ता भैया अब बतिया तनिक समझ आई है काहे की खटिया का जमाना खत्म हो गया है, और भैया हम बस बतियाते है. हम पहले ही आप सबका बता देते है कि हम बतिया करेगे अब का करे बतिया करने से समस्याएं भी हल हो जाती है मगर हम कैसे हल कर देंगे ? समस्या जब विकराल हो। तो भैया हम तो पहले ही कह देते है साफ़ साफ़ कि हम खाली बतियाते है, अब किसी को अगर इ बतिया से बुरा लगे तो न पढ़े भाई हम कोई जोर जबरदस्ती तो कर नहीं रहे है कि पढ़बे करो साहेब। तो साहेब बतिया शुरू करते है और बतिया की खटिया बिछा लेते है.

बतिया का मुद्दा आज फिर एक बार बनारस के दालमंडी क्षेत्र का है जहा पिछले कई दिन, महीने नहीं बल्कि सालो से सीवर का गन्दा पानी सड़क पर बह रहा है. हम भी कई बार बतिया चुके है इस सम्बन्ध में और साहब नगर आयुक्त कहे भी रहे कि सोमवार को काम लग जायेगा, मगर का बताये साहब गन्दगी की मार से इस क्षेत्र का जीवन बेहाल है और यहाँ का कारोबार तो 80% समाप्त हो गया है. छोटे दुकानदार जो रोज़ का कुआ खोदो पानी पियो वाली स्थिति में रहते है उनका हाल अब भुखमरी के कगार के आस पास पहुच रहा है. मगर जिम्मेदारो का कान है कि जैसे कुछ सुनने को तैयार ही नहीं है. इसी क्रम में आज सब दुकानदार लोग सड़क पर उतर कर धरना देकर बैठ रहे है.

यही नहीं अगर सूत्रों की माने तो जिस कार्यदाई संस्था को इस क्षेत्र के सीवर लाइन बदलने का काम दिया गया है वो शायद पहले विदेशो में कार्यो का अनुभव अधिक रखे है. क्षेत्रीय चर्चाओ के अनुसार ठेकेदार साहब अकेले में काम करते है और उनकी फरमाईश है कि पूरी मार्किट को 15 दिनों के लिये बंद करवा दिया जाये फिर वह काम करेगे. यानि शर्त भी ऐसी रखो की कोई पूरी न कर सके. भाई वाह न काम पूरा हो न शर्त पूरी हो. बस ऐसे ही लटका रहेगा मामला और भुगतान तो जुगाड़ लगा कर मिल जायेगा. समझ में बात सिर्फ एक नहीं आई कि साहब जब अकेले में काम करते है तो इंडिया में कैसे काम करते होंगे, यहाँ तो पडोसी का बच्चा पोट्टी कर देता है और उसकी माँ के व्यस्त रहने पर बच्चे का पिता धुलाने चलता है तो पडोसी इसमें भी उसको सलाह देने लगते है. फिर साहब काम कैसे कर लेते है.

खैर छोड़े साहब, ठेकेदार साहब है उनको समझने का नजरिया एकदम अलग है. अब अगर चर्चाये क्षेत्र में सही है तो ठेकेदार साहब से सिर्फ यही कहूँगा की साहब काम कर दो, क्या ये बंद रखो खुली रखो कर रहे हो साहब. कर दो ठेकेदार साहब काम, आप भी जान रहे हो कि आप जो मांग क्षेत्रीय नागरिको से कर रहे हो वह सही नहीं है और हम भी ये बात जान रहे है. तो साहब काम शुरू करवाओ. बिमारी का इलाज तो कम से कम शुरू करे साहब एक न एक दिन बिमारी  ख़त्म हो जायेगी.

अब भैया हम तो बतिया चुके है’ और बतिया की खटिया उठा लेते है. काहे कि नगर आयुक्त जी जब तक दो चूड़ी चढायेगे तभी काम हो पायेगा

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