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वाराणसी – साहब विकास के लिये आज भी तरस रहा है पुरातनकाल का रामनगर

विनय यादव

रामनगर/वाराणसी। बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी की उपनगरी रामनगर जिसे हम देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्व.लाल बहादुर शास्त्री की जन्म स्थली के रूप में भी जानते हैं। लाखों की आबादी वाला यह नगर 25 वार्डों का एक नगर पालिका परिषद के साथ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी का अभिन्न अंग भी है। रामनगर को व्यास काशी के नाम से भी जाना जाता है।

समय के इस बदलते परिवेश में एक ओर जहां संपूर्ण देश के साथ साथ बाबा विश्वनाथ की धरती काशी में विकास और बदलाव के लिए भारत सरकार और राज्य सरकार की हजारों करोड़ की योजनाओ के माध्यम से विकास और बदलाव के मुख्य धारा से जोड़ने के लिए भागीरथ प्रयास किए जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर एक राज्यमंत्री का विकास की कालीन बिछाने का बयान भी लोगों के बीच में चर्चा का विषय बन जाता है, लेकिन न जाने ऐसी क्या वजह है की शास्त्री जी की जन्म भूमि रामनगर में भारत सरकार और राज्य सरकार की कोई भी योजना जमीनी हकीकत से कोसों दूर है। चाहे हृदय योजना की बात हो अथवा सड़क की खस्ताहाल, कई इलाकों में सीवर का न होना अथवा बरसात के दिनों में कीचड़ युक्त रास्तों से संक्रमण के फैलने के खतरे की ही बात क्यों न हो।

रामनगर आज भी जिला प्रशासन की उपेक्षाओं का दंश झेल रहा है। जिसका उदाहरण प्रभु नारायण राजकीय इंटर कॉलेज के छात्रावास की जर्जरता, राधा किशोरी राजकीय बालिका इंटर कॉलेज के जर्जर भवनों, राजकीय पशु चिकित्सालय की जर्जरता और असुविधाओ के रूप में देखने को मिलता है। रामनगर में न तो बरसात के पानी की निकासी की कोई उचित व्यवस्था है और ना ही रामनगर के लिए जिला प्रशासन किसी प्रकार की कार्य योजना को मूर्त रूप ही दे रहा है। जिसकी वजह से एक ओर जहां रामनगर की ऐतिहासिक धरोहर विलुप्तता के कगार पर खड़ी है वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य, स्वच्छ जल, शिक्षा, उच्च स्तरीय सड़को सहित पार्क की व्यवस्था न होने के कारण विकास और बदलाव के मुख्य धारा से रामनगर कोसों दूर संघर्ष करता हुआ नजर आ रहा है।

वहीं नगर के समाजसेवी कृपाशंकर यादव ने बताया कि जिस नगर में नागरिकों को सड़क, सीवर, स्वच्छ जल सहित विकास परक संसाधनों के लिए संघर्ष करना पड़ता है, उस नगर के लोगों का जीवन बहुत ही दयनीय होता है. सत्ताधारी शासन और प्रशासन को रामनगर के साथ उपेक्षापूर्ण व्यवहार करके देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. लाल बहादुर शास्त्री के विचारों का अपमान नहीं करना चाहिए बल्कि काशी के साथ-साथ रामनगर को भी विकास और बदलाव के मुख्य धारा से जुड़ने हेतु सार्थकता के साथ योजनाओं को जमीनी हकीकत का अमलीजामा पहनाना चाहिए।

बातचीत के दौरान कृपाशंकर यादव ने कहा कि रामनगर की रामलीला से पूरे विश्व में वसुधैव कुटुंबकम और सर्वे भवंतु सुखिना सर्वे संतु निरामया का संदेश जाता है, लेकिन जिला प्रशासन की उदासीनता के कारण ही रामलीला मेला प्रारंभ होने को है फिर भी रामलीला से जुड़े हुए ऐतिहासिक स्थानों का ना तो प्रशासनिक स्तर पर किसी प्रकार का संरक्षण किया जा रहा है और ना ही रामनगर के जनमानस को रामनगर के विकास के उद्देश्य से जिला प्रशासन की किसी योजना का हकीकत दिख रहा है। जबकि रामनगर के विकास और बदलाव से रोजगार की उम्मीदों को बल मिलने की प्रबल संभावना है।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री की जन्म स्थली का अपमान करना राष्ट्रीय हित और विकास नीति का अपमान करने के समान है। जहां आज देश के प्रधानमंत्री ने लोकसभा व विधानसभा चुनाव के पूर्व बनारस आकर कई लोक लुभावने वादे यहां की जनता से किये थे, कहाँ गये वो वादे।

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