आफताब फारुकी
इलाहाबाद। प्रदेश व देश में संचालित हो रहे सरकारी एवं निजी संस्थाओं के बालिका एवं बालक और बृद्धा आश्रमों में भारी अनिमिताएं एवं शोषण हो रहा है। सभी की सीबीआई जांच होनी चाहिए। उक्त बातें शुक्रवार को स्त्री मुक्ति संगठन इलाहाबाद की सदस्य डा.निधि मिश्रा ने कहा।
उन्होंने कहा कि देवरिया बालिका संरक्षण गृह की घटना के बाद अपने पांच सदस्यों की टीम के साथ इलाहाबाद से वहां जांच के लिए गई थी। जहां उन्हें बहुत ही खामिया नजर आई। जिसके पीछे जिला प्रशासन एवं सरकार जिम्मेदार है। सीडब्लूसी की सभी गाइड लाइनों को दरकिनार करके वहां की संचालिका गिरजा त्रिपाठी ने अपना लायसंेस कराया था। वैधानिक तरीके से उसका पंजीकरण ही पूरी तरह गलत है। इसके बावजूद वह दबंगई से पीड़ितो एवं दूसरे पक्ष के लोगों से धनउगाई करके मामलों का जबरन निपटारा करा देना उनका पेशा बन चुका था। उनकी संस्था को 2017 में काली सूची में डाल दिया गया, इसके बावजूद वह अपनी गोरख धन्ध धमकी देकर संचालित करती रही और वहां का जिला प्रशासन एवं जिम्मेदार अधिकारी सोते रहे। वह एक ताकतवर एवं भ्रष्ट महिला थी।
जांच के दौरान पुलिस प्रशासन, डीएम, डीपीओ, डीसीपीओ व एस.पी. द्वारा पर्यवेक्षण व उनकी कार्यपद्धत्ति त्रूटिपूर्ण एवं संदेहास्पद रही है और कानून उसके हाथ का कठपुतली बन चुका था। उन्होंने कहा कि मेरी टीम द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट को इलाहाबाद जिलाधिकारी के माध्यम से उत्तर प्रदेश सरकार व केन्द्र सरकार को भेजेंगी। सरकार से मांग करूंगी की ऐसे सभी संस्थाओं की सीबीआई जांच कराई जाय। उनके टीम में पीयूसीएल इलाहाबाद महासचिव उत्पला शुक्ल, घरेलू कामगार महिला संगठन इलाहाबाद की सुश्री प्रभा, सुशील मानव, पवन यादव और पूरी टीम के कार्यो का समायोजन प्रफेसर रंजना कक्कड़ ने किया।
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