तारिक़ खान
इलाहाबाद : देवरिया शेल्टर होम कांड की जांच में ढिलाई बरतने पर हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को जमकर फटकार लगाई है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि सरकार ने जो भी कार्रवाई की है वह संतोषजनक नहीं है. कोर्ट ने तीन हफ्ते में रिपोर्ट मांगी है.
दरअसल, मुख्य न्यायाधीश डीबी भोसले और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की कोर्ट में बुधवार को देवरिया कांड मामले की सुनवाई हुई. कोर्ट में सरकार ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि पैसे की कमी के चलते कानूनी उपबन्धों का पालन नहीं हो पा रहा है. कोर्ट ने सरकार से कहा कि प्राइवेट और सरकारी शेल्टर होमों में सीसीटीवी कैमरे लगाए और उनको फंड उपलब्ध कराए. सरकार ने शेल्टर होमों की निगरानी के लिए कमेटी गठित की है, जिसको लेकर कोर्ट ने कहा कि कमेटी में लीगल सर्विस अथॉरिटी के सचिव को भी शामिल करें.
हाईकोर्ट भी न्यायिक कमेटी गठित करेगी, जो महीने में एक बार शेल्टर होमों का निरीक्षण करेगी. सरकार ने बताया कि देवरिया के शेल्टर होम का लाइसेंस निलंबित होने के बाद लड़कियों को वहां भेजने वाले 28 पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की गई है. पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई को लेकर कोर्ट ने पूछा कि उनको निलंबित क्यों नहीं किया गया. वहीं बरामद लड़कियों को लेकर सरकार ने बताया 121 बरामद लड़कियों में से कुछ परिजनों को सौपी गई हैं.
कोर्ट ने सरकार द्वारा की गई कार्रवाई को संतोषजनक नहीं बताया. कोर्ट ने मनोरोग विशेषज्ञ की रिपोर्ट भी देखी. इलाहाबाद में सुरक्षित चार लड़कियों से बिना अनुमति मिलने पहुंचे एनजीओ के तीन सदस्यों ने बिना शर्त माफी मांग ली. कोर्ट ने दोबारा गलती न करने की उनको चेतावनी दी.
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