तारिक खान
लखनऊ। राज्य कर्मचारियों, शिक्षकों और पेंशनधारकों के बाद अब प्रदेश के सरकारी डॉक्टरों ने भी राज्य सरकार को चेतावनी देते हुए आंदोलन का बिगुल फूंक दिया है। उनका कहना है कि न तो डॉक्टरों को अपेक्षित सुविधाएं मिल रही हैं और न ही 1980 के दशक में तय हुए स्वास्थ्य के मानक पूरे हो पाए हैैं, जबकि सरकार ने यह वास्तविकता छिपाकर आम जनता और न्यायालय को भी अंधेरे में रखा है। डॉक्टरों ने इसके विरोध में आंदोलन का एलान कर दिया है।
प्रांतीय चिकित्सा सेवा (पीएमएस) एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने सोमवार को पत्रकारों को बताया कि राज्य सरकार एक ओर सरकारी डॉक्टरों की समस्याओं और मांगों की तरफ पीठ घुमा कर बैठी है तो उधर अस्पतालों में दोहरी-तिहरी व्यवस्था के जरिये अराजकता की स्थिति उत्पन्न करके उन्हें अपमान, प्रताडऩा और गुलामी का शिकार बना दिया गया है। डॉक्टरों ने इस सबका विरोध करने का निर्णय लिया है। एसोसिएशन अध्यक्ष डॉ.अशोक कुमार यादव व महामंत्री डॉ.अमित सिंह ने बताया कि मानक पूरे करने के लिए प्रदेश में 33 हजार विशेषज्ञ डॉक्टर चाहिए, जबकि मौजूदा संख्या केवल तीन हजार है।
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