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विश्व को ट्रम्प की नई धमकी आख़िर अमेरिकी राष्ट्पति की धमकियों का सिलसिला कब रुकेगा

आदिल अहमद

अमेरिकी राष्ट्रपति डोलन्ड ट्रम्प ने एक और वैश्विक संस्था को धमकी दी है कि अगर उसने अपने रवैया अमेरिका के प्रति ठीक नहीं किया तो वह उससे निकल जाएंगे।

प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने अपनी धमकियों का सिलसिला जारी रखते हुए इस बार विश्व व्यापार संगठन “डब्ल्यूटीओ” को धमकी दी है कि “अगर विश्व व्यापार संगठन अपने व्यवहार में बदलाव नहीं लाता है तो अमेरिका शीघ्र ही इस संगठन से बाहर निकल जाएगा।” इस बीच अमरीका ने विश्व व्यापार संगठन के विवाद निवारण व्यवस्था (डिसप्युट सेटलमेंट सिस्टम) के दो नए जजों के चुनाव का रास्ता रोक दिया है, जिसके कारण डब्ल्यूटीओ के फ़ैसले सुनाने की क्षमता कमज़ोर पड़ सकती है।

उल्लेखनीय है कि विश्व व्यापार संगठन की स्थापना वैश्विक व्यापार के नियम बनाने और तमाम देशों के बीच व्यापारिक विवादों के सुलझाने के लिए हुई थी।

याद रहे कि डोनल्ड ट्रम्प ‘अनुचित व्यापार’ से तब से नाराज़ हैं जब वह राष्ट्रपति भी नहीं बने थे। पिछले वर्ष ट्रम्प ने फ़ॉक्स न्यूज़ से कहा था कि, “डब्ल्यूटीओ सबको लाभ पहुंचाने के लिए बनाया गया था, सिवाय हमें…हम हर केस हार जाते हैं, हम डब्ल्यूटीओ में लगभग हर केस हार जाते हैं।” हालिया कुछ महीनों में अमरीका का रवैया डब्ल्यूटीओ के साथ अंतर्राष्ट्रीय क़ानूनों के बिल्कुल ख़िलाफ़ रहा है और इसका ताज़ा उदाहरण है चीन सहित दुनिया के कई देशों के साथ अमेरिका का आर्थिक युद्ध। ट्रम्प द्वारा आरंभ किए गए आर्थिक युद्ध के कारण एक बार फिर दुनिया पर आर्थिक मंदी का ख़तरा मंडराने लगा है।

ज्ञात रहे कि अमरीका अब अकेला सुपर पावर नहीं है ब्लकि चीन, रूस तथा दूसरे परमाणु देश जैसे उत्तरी कोरिया, पाकिस्तान और भारत भी हैं जो अमरीकी नीतियों का विरोध कर रहे हैं यह भी संभव है कि यूरोप भी बहुत जल्द इसी दिशा में आगे बढ़ेगा। शायद ट्रम्प की इन मनमानी नीतियों के कारण जल्द ही अमेरिका से अलग एक नई आर्थिक व्यवस्था खड़ी हो जाए जो डालर पर निर्भर रहने के बजाए कई अलग अलग करेन्सियों पर निर्भर होगी।

विश्व भर के अधिकतर टीकाकारों का कहना है कि जिस तरह की डोनल्ड ट्रम्प की नीतियां हैं उससे अमरीका ख़ुद अपने पांव पर कुल्हाड़ी मार रहा है और दुनिया भर में अपने ख़िलाफ़ नफ़रत को हवा दे रहा है। अस्सी और नब्बे के दशक में भी ऐसा हो चुका है लेकिन अब बहुत अंतर है। पहले अमरीका से नफ़रत इसलिए की जाती थी कि वह अतिग्रहणकारी शासन इस्राईल का समर्थन करता था और उसने इराक़ और अफ़ग़ानिस्तान पर युद्ध थोपा था, लेकिन अब इन कारणों के अलावा कई नए कारण भी शामिल हो गए हैं जिनकी वजह से अमेरिका से नफ़रत करने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है और वह कारण हैं, अमरीका द्वारा लगातार अंतर्राष्ट्रीय समझौतों से निकलना और विश्व के अलग-अलग देशों पर आर्थिक प्रतिबंध लगाना और अपने सहयोगियों के साथ आर्थिक युद्ध आरंभ करना।

aftab farooqui

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