आदिल अहमद
कानपुर एसपी पूर्वी सुरेंद्र दास को गार्ड ऑफ ऑनर के बाद बड़े भाई नरेंद्र दास ने उनकी पत्नी डॉ. रवीना त्यागी और उसके परिवार पर जमकर बरसे। पहली बार वे खुलकर सामने आए। उन्होंने कहा कि पूरे परिवार को तबाह कर दिया है। पूरे मामले की जांच कराकर दूध का दूध पानी का पानी करूंगा। बिलखते हुए बोले-मेरे भाई की जान लेने वाली रवीना पर रिपोर्ट दर्ज कराऊंगा। मेरे पूरे परिवार को उसने खत्म कर दिया। पूरे परिवार को बांटकर रख दिया था। मेरा भाई ऐसा नहीं है। वह परिवार को जोड़ना चाहता था। इसलिए कलह से तंग आकर उसने जान दे दी।
उन्होंने कहा कि सुरेन्द्र छुट्टी लेकर आने के बावजूद ज्यादा से ज्यादा समय रवीना के साथ रहने की हम लोग सीख देते थे। नरेंद्र दास ने बताया कि रवीना को ससुराल वाले बिल्कुल पसंद नहीं थे। इसीलिए शादी करके विदा होने के दो घंटे बाद ही वह चली गई थी। परिवार को उम्मीद थी कि वह कम से कम एक दो दिन सुरेंद्र के साथ आकर रहेगी। उसे एक घंटा क्या एक मिनट भी उन लोगों के साथ रहना पसंद नहीं था। इसीलिए वह लगातार सुरेंद्र से झगड़ा करके सबको अलग करने पर लगी थी। वह लोग भी परिवार और सुरेंद्र की खुशी के लिए बात नहीं करते थे। त्योहार के दिन नॉनवेज खाना कौन पति पसंद करेगा। वह मनमानी करती थी और सुरेंद्र मना करता था। इसीलिए झगड़ा होता था।
नरेंद्र के मुताबिक मां इंदूदेवी सुरेंद्र की शादी एक संस्कारी बहू के साथ करना चाहती थी जिसे वह अपने साथ रख सके। रवीना के साथ शादी करके ऐसा नहीं हो सका। इसी चक्कर में मां ने हरियाणा में रहने वाली एक लड़की के साथ तय हो चुकी सुरेंद्र की शादी को तुड़वा दिया था। अब उसकी भी शादी हो चुकी है। फिलहाल उस लड़की से सुरेंद्र की बात नहीं होती थी। रवीना के रूप में मां को संस्कारी बहू मिलने की उम्मीद थी। ऐसा नहीं हो सका। इसीलिए मां को सबसे ज्यादा दुख है। वह उसे अपने साथ रख भी नहीं सकी। इसलिए मां के पूरे सपना चकनाचूर हो गए। सुरेंद्र की मौत के बाद उनकी पूरी जिंदगी ही तबाह हो गई।
उन्होंने बताया कि नौ अप्रैल 2017 को सुरेंद्र की शादी रवीना के साथ लखनऊ में हुई थी। दोनों का विवाह शादी डॉट काम के जरिए हुई थी। विवाह तय होने में करीब तीन महीने का समय लगा था। दोनों के बायोडाटा शादी डॉट कॉम में थे। वहीं से दोनों तरफ से रुचि दिखने पर शादी तय हुई थी। पहली शुरुआत सुरेंद्र ने की थी। फिर उनका विवाह हुआ था। शादी के तीन महीने बाद ही रवीना ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया था। वह एक दिन भी सुरेंद्र को उनके परिवार के साथ देखना नहीं चाहती थी। इसीलिए वह बार-बार झगड़ा करती थी। एसपी पूर्वी की शहर में तैनाती के बाद से रवीना के परिवार का हस्तक्षेप उन पर बढ़ गया था। ससुर वालों का दखल काफी बढ़ गया था। वह उनको परिवार से अलग करना चाहते थे, जबकि सुरेंद्र दास दोनों परिवार को एक करना चाहते थे। इसीलिए सात अगस्त को कानपुर में तैनाती लेने के बाद उन्होंने सिर्फ फोन पर जानकारी दी थी। वह मां से मिलने तक नहीं गए थे।
उन्होंने कहा कि सुरेंद्र के शहर आने पर रवीना भी नौकरी छोड़कर शहर आ गई थी। डॉ. रवीना का मायके की तरफ झुकाव और ससुराल पक्ष का घर की छोटी-छोटी बातों में दखल ही उनके लिए काल बन गया। भाई नरेंद्र दास ने बताया कि सुरेंद्र की हालत बिगड़ने से पहले और बाद तक रवीना के परिवार के साथ उनकी बातचीत नहीं हुई। शादी के बाद से ही वह सुरेंद्र के परिवार के साथ कोई रिश्ता नहीं रखना चाहते थे। रीजेंसी में पांच दिन तक इलाज चलने के बावजूद उन्होंने पानी तक नहीं पूछा। वह लोग होटल में रुक रहे थे और उन्होंने एक दिन भी घर तक चलने के लिए नहीं दिया। रवीना के परिजन बेगानों की तरह व्यवहार कर रहे थे, जैसे वह उनको जानते तक नहीं हैं।
नरेंद्र दास ने कहा कि वह व उनका परिवार कभी भी सुरेंद्र से पैसा नहीं मांगते थे। पूरी बात गलत है। मां को 32 हजार रुपए प्रति महीना पेंशन मिलती थी। उसका भी वेल्डिंग का काम काफी अच्छा चलता था। ऐसे में किसी भी तरह की पैसे की दिक्कत नहीं थी। इसलिए कभी भी पैसा नहीं मांगा गया। यह खुद को बचाने के लिए रवीना झूठी बात कर रही है। पोस्टमार्टम हाउस में गुमसुम खड़े सुरेंद्र दास के मामा गाजीपुर के शेरपुर गांव निवासी श्याम बहादुर ने बताया कि तीन महीने से सुरेंद्र घर तक नहीं आया। बात तो करना दूर की बात है। उसे अपनी बहन सावित्री से विशेष लगाव था। इसीलिए वह उससे बात करता था। कई दिनों से सुरेंद्र ने उससे भी बात नहीं की थी। फोन करने के बावजूद सुरेंद्र उनका फोन नहीं उठाते थे।
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