फारुख हुसैन
सिंगाही खीरी। मरहम लगा सको तो गरीब के जख्मों पर लगा देना,यूँ तो हकीम बहुत हैं अमीरों के इलाज की खातिर।किसी शायर की लिखी यह पंक्तिया उस वक्त बरबस ही याद आ गई जब सोशल मीडिया के एक स्थानीय व्हाट्सएप ग्रुप पर यह खबर वायरल हुई कि मां अपने बेटे के लिए किडनी डोनेट करने को तैयार है लेकिन इलाज के लिए झोली खाली है।जिंदगी और मौत से जूझ रहे मां के लाडले को बचाने के लिए लोगों ने चंदा लगाने की गुहार लगाई है लेकिन जिस परिवार में दो जून की रोटी के लाले हों उस परिवार के लिए इलाज में खर्च होने वाली 7-8 लाख रुपए की भारी भरकम रकम जुटा पाना पहाड़ तोड़कर पानी निकालने जैसा ही है।
इतना सुनते ही परिवार वालों के पैरों तले जमीन खिसक गई उसके बाद रिश्तेदारो ने चंदा करके लखनऊ के अस्पताल में भर्ती करया ।पीजीआई गुर्दा ट्रान्सप्लान्ट के लिए एक साल की वेटिंग दी गई ।जान मोहम्मद की मां शाहजहाँ परवीन ने अपनी एक किडनी दान करने को तैयार हो गई। इलाज में हुए भारी कर्ज के बोझ तले दबे जान मोह के पिता ने प्रधानमंत्री कोष से अति शीघ्र सहायता की गुहार लगाई है मां उसे किडनी दे रही है। किडनी बदलने के लिए आठ लाख रूपए की आवश्यकता है। जान मोहम्मद के पिता नूर मोहम्मद मेंहनत मजदूरी कर अपने परिवार का गुजारा करते हैं।
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