कमलेश कुमार
अदरी(मऊ). डीजल व पेट्रोल की कीमतों में लगातार हो रही इजाफे ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी है। किसानों को जहां खेती की सिंचाई के लिए दिक्कतें हो रही हैं। वही व्यापारी वाहनों का किराया बढ़ने से परेशान है। डीजल के दाम बढ़ने से स्कूली वाहनों का किराया छात्रों के लिए मुसीबत बन गया है। हाल ही में रसोई गैस के दाम भी बढ़ रहे हैं। जिले में सामान्य ईंधन के रूप में पेट्रोल 80.40 पैसे व डीजल 72.72 प्रति लीटर की दर से मिल रहा है।
जीएसटी के दायरे में लाए जाएं पेट्रोल व डीजल।
किसान रामप्रताप यादव का कहना है कि जितने में पहले पेट्रोल मिलता था। अब उससे ज्यादा कीमत में डीजल मिल रहा है। ऐसे में खेतों की जुताई व सिंचाई कर पाना असंभव हो रहा है। सरकार को देखना चाहिए कि इतने महंगे तेल से खेती कैसी होगी। त्रिभुवेन्द्र राय का कहना है कि हर घर में बाइक है और कोई बिना बाइक के कहीं निकलना नहीं चाहता। ऐसे में पेट्रोल की बढ़ी कीमतें सबके लिए परेशानी खड़ी कर रही है। इसे जीएसटी में लाना बहुत जरूरी हो गया है। भारतभूषण राय का कहना है कि तेल में लगातार बढ़ोतरी से स्कूली वाहनों पर भी प्रभाव पड़ता है। वाहनों का किराया बढ़ने से सबसे ज्यादा दिक्कत छात्रों और अभिभावकों को हो रही है। कमलेश राय का कहना है कि सरकार डीजल पेट्रोल को जीएसटी में नहीं ला रही है। सिर्फ अपना खजाना भर कर जनता की जेब पर डाका डालने का काम हो रहा है। जब देश में एक प्रणाली एक कर की व्यवस्था लागू है तो इसके दायरे में पेट्रोल और डीजल क्यों नहीं लाए जाते हैं।
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